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डोनाल्ड ट्रंप की पश्चिम बंगाल शांति योजना को फिलीस्तीन ने बताया कुड़ेदाने में फैंकने लायक

डोनाल्ड ट्रम्प डोनाल्ड ट्रंप की पश्चिम बंगाल शांति योजना को फिलीस्तीन ने बताया कुड़ेदाने में फैंकने लायक

नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बहुप्रतिक्षित इजराइल-फिलीस्तीन शांति योजना को जारी करते हुए नई सुबह का वादा किया है, लेकिन इससे नाराज फिलीस्तीनियों ने इसे पक्षपातपूर्ण और ”इतिहास के कूड़ेदान” में फेंकने लायक बताया है। व्हाइट हाउस के ईस्ट रूम में इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ खड़े होकर मंगलवार (28 जनवरी) को योजना का खुलासा करते हुए ट्रम्प ने कहा कि उनकी योजना सफलता हासिल करेगी, जबकि पूर्ववर्ती अमेरिकी सरकारों की मामले में हस्तक्षेप की कोशिश नाकाम हुई थी।

इजराइली और यहूदी अमेरिकी मेहमानों सहित श्रोताओं को संबोधित करते हुए ट्रम्प ने कहा, ”हम मिलकर… पश्चिम एशिया में नई सुबह ला सकते हैं। हालांकि, इस दौरान कोई फिलस्तीनी प्रतिनिधि मौजूद नहीं था।” फिलीस्तीनियों ने योजना को सिरे से खारिज कर दिया है जिसमें इजराइल की अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक स्तर पर दशकों से की गई मांग को स्वीकार कर लिया गया है खासतौर पर अविभाजित राजधानी के रूप में यरुशलम पर पूर्ण नियंत्रण, जबकि पहले इसे फिलीस्तीन के संग साझा करना था। योजना इजराइल द्वारा पश्चिमी तट की बस्तियों को भी मिलाने की अनुमति देती है।

ट्रम्प ने योजना के साथ इजराइल की ”शांति के लिए बड़ा कदम उठाने के लिए प्रशंसा की जबकि योजना में फिलीस्तीन को भविष्य में देश का दर्जा कड़ी शर्तों के आधार पर देने की बात कही गई है, जैसे फिलीस्तीन का पूर्ण रूप से निशस्त्रीकरण और कब्जे वाली जमीन पर बनी बस्तियों पर इजराइली संप्रभुता को औपचारिक रूप से स्वीकार करना शामिल है। ट्रम्प ने अमेरिकी द्वारा पहले किए गए कूटनीतिक प्रयासों को दिशाहीन करार दिया और रेखांकित किया कि 80 पन्नों के उनके दृष्टिपत्र में प्रस्तावित पड़ोसी देशों की रूपरेखा रखी गई है। हालांकि, फिलीस्तीनियों ने पूरी योजना को खारिज कर दिया। फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने कहा, ”यह साजिश है और यह पारित नहीं होगा। हमारे लोग इसे इतिहास के कूड़ेदान में फेंक देंगे।”

ट्रम्प ने मौजूदा परिस्थितियों जिसमें सबसे अधिक आबादी वाले दो क्षेत्रों गाजा पट्टी और पश्चिमी तट पर भविष्य का फिलीस्तीन देश बनाने का वादा किया है, जबकि दोनों क्षेत्रों को अलग करने वाले विस्तृत क्षेत्र पर इजराइल का कब्जा है। योजना में पेश मानचित्र में पश्चिमी तट इजराइल से जुड़ी यहूदी बस्तियों के साथ किसी पहेली की तरह है जिसमें सुरंग से गुजरती सड़क ही तटीय गाजा पट्टी को जोड़ती है। योजना में साफ है कि इजराइल, फिलीस्तीनी जमीन पर बनी बस्तियों को मिला सकता है।

विवाद के केंद्र यरुशलम के बारे में ट्रम्प ने कहा कि इजराइल इस शहर पर अविभाजित राजधानी के रूप में कब्जा कायम रख सकता है साथ ही फिलीस्तीन पूर्वी यरुशलम को अपनी राजधानी घोषित कर सकता है। गाजा पट्टी में सक्रिय हमास इस्लामिक आंदोलन ने कहा कि वह भविष्य के फिलीस्तीन में यरुशलम के राजधानी होने के मामले में कोई समझौता नहीं कर सकता। पश्चिम एशिया शांति योजना ऐसे समय पेश की गई है जब ट्रम्प और नेतन्याहू दोनों ही अपने राजनीतिक भविष्य के लिए लड़ रहे हैं।

ट्रम्प इस साल के नवंबर में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव से पहले सत्ता के दुरुपयोग के आरोप में महाभियोग की सुनवाई का सामना कर रहे हैं। नेतन्याहू को भष्ट्राचार के तीन मामलों में मंगलवार (29 जनवरी) को औपचारिक रूप से अभिरोपित किया गया। नेतन्याहू ने प्रस्ताव को ”सदी का समझौता” करार दिया और कहा, ”ट्रम्प आप इजराइल के व्हाइट हाउस में अबतक के सबसे महान मित्र हैं। ट्रम्प ने कहा कि उन्होंने अब्बास को समर्थन के लिए पत्र लिखा है।”

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ”मैं उन्हें (अब्बास) बताउंगा कि उनके भविष्य के देश के लिए जो जमीन आवंटित की गई है वह खुली रहेगी। यह उनके लिए आखिरी मौका है।” पर्दे के पीछे रहकर पूरी योजना तैयार करने वाले ट्रम्प के दामाद जेरेड कुशनर ने कहा उन्हें (फिलीस्तीन) यह मौका नहीं गंवाना चाहिए। ट्रम्प द्वारा योजना की घोषणा करते ही इसका विरोध करने के लिए गाजा पट्टी और पश्चिमी तट में लोग सड़कों पर उतरा आए। रेड क्रॉस के मुताबिक पश्चिमी तट में इजराइली सेना के साथ हुई झड़प में 13 लोग घायल हुए हैं।

ट्रम्प की योजना से इजराइली कट्टरपंथी भी नाराज हैं। घोर दक्षिणपंथी येमिना यूनियन के नेता एवं परिवहन मंत्री बेजल स्मोत्रिच ने कहा कि उनकी पार्टी किसी भी परिस्थिति में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से फिलीस्तीन को मान्यता नहीं देगी। तीन अरब देशों ओमान, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन के राजदूतों की व्हाइट हाउस में उपस्थिति रेखांकित करती है कि ट्रम्प की योजना को पश्चिम एशिया में कुछ समर्थन मिल रहा है। वहीं, अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया सतर्क लेकिन सकारात्मक रही।

सऊदी अरब ने कहा कि वह ट्रम्प की कोशिश की प्रशंसा करता है और उसने इजराइल एवं फिलीस्तीन से सीधी बातचीत करने का आह्वान किया। पश्चिम एशिया की राजनीति में प्रभाव बढ़ा रहे रूस ने प्रस्ताव पर आशंका जताई है।रूस के उप विदेशमंत्री मिखाइल बोगदानोव ने कहा, ”हम नहीं जानते कि अमेरिकी प्रस्ताव दोनों पक्षों को स्वीकार होगा या नहीं।” यूरोपी संघ के शीर्ष राजनयिक जोसफ बोरेल ने कहा, ”समूह अमेरिकी प्रस्ताव का अध्ययन एवं आकलन कर रहा है जबकि जर्मनी के विदेशमंत्री ने कहा कि दो देशों के विवाद केवल बातचीत से ही हल हो सकते हैं। ब्रिटिश विदेशमंत्री डोमिनिक राब ने कहा कि यह गंभीर प्रस्ताव है जो समय और गहन कोशिश को प्रतिबिंबित करता है।” हालांकि, तुर्की ने इस प्रस्ताव की निंदा करते हुए इसे पैदा होते ही मिट जाने वाला बताया, जबकि ईरान ने कहा कि यह प्रस्ताव असफल होने के लिए बना है।

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