इस्लामाबाद। तरक्की की राह पर चलने की बजाए भारत को युद्ध की धमकी और आतंकवादियों से तबाह करवाने के सपने देखने वाले पाकिस्तान की कमर टूट गई है। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गई है और वो इस समय भारी घाटे के दौर से गुजर रहा है। पाकिस्तान के बढ़ते चालु खाता घाटे में चला गया है और साल 2018 में कर्ज भूगतान के लिए 17 अरब डॉलर यानी की 1.10 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है। हालांकि विश्व बैंक ने पाकिस्तान को आर्थिक सुधारों के लिए मदद जारी रखने की बात कही है।
दरअसल अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की सालाना बैठक से इतर पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल से वार्ता के बाद बैंक ने कहा कि पाकिस्तान दूसरे देशों के साथ कारोबार और बढ़ते राजकोषीय घाटे के चलते विपरीत परिस्थितियों का सामना कर रहा है। ऐसी स्थिति में उसकी अर्थव्यवस्था खतरे में पड़ सकती है। विश्व बैंक ने कहा कि इस वजह से पाकिस्तान को विदेश से वित्तीय वर्ष 2017-18 के लिए अपने जीडीपी का 5-6 फीसद या 1.10 लाख करोड़ रुपये की आर्थिक मदद की जरूरत पड़ेगी।
बताते चलें कि पाकिस्तान के प्रतिनिधिमंडल में वित्त विभाग के सचिव शाहिद महमूद, स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के गवर्नर तारीक बाजवा और आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव आरिफ अहमद खान शामिल थे। उन्होंने विश्व बैंक के दक्षिण एशिया क्षेत्र के उपाध्यक्ष एनेट डिक्सन से मुलाकात की।