लाहौर। पाकिस्तान के पंजाब प्रांत की विधानसभा ने विधायकों की सर्वसम्मति के साथ सिख आनंद विवाह अधिनियम 2017 को पारित करते हुए इतिहास रच दिया है। एक मुस्लिम बहुसंख्यक देश में सिखों के विवाह को कानूनी दर्जा प्रदान करना अपने आप में ही इतिहास रचने से कम नहीं है। बता दें कि विधेयक पारित होने से पहले सिखों के विवाह को कानूनी मान्यता न मिलने के कारण उनके लिए इंसाफ के दरवाजे बंद थे, लेकिन इस विधेयक के पारित होने के बाद अब शादियों और समुदाय से जुड़े सभी मामलों का निपटारा करना आसान हो जाएगा।
पंजाब विधानसभा में अल्पसंख्यक सदस्य सरदार रमेश सिंह अरोड़ा ने इस बिल को पेश किया और सर्वसम्मति से इसे पास करा दिया। वहीं राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद बिल को तुरंत लागू कर दिया जाएगा। अरोड़ा ने कहा कि पाकिस्तान दुनिया का एकमात्र देश है,जिसने इस विधेयक को कानून बनाते हुए सिखों के विवाहों को मान्यता प्राप्त की है। बता दें कि आज से पहले सिखों के विवाह को गुरुद्वारों द्वारा ही संभाला जाता रहा है। सिख विधायक ने कहा कि ये दिन सिख समुदाय के लिए ऐतिहासिक है क्योंकि ऐसा पहली बार होगा जब पाकिस्तान में अलग से सिखों के पारिवारिक कानूनों को नियमित किया जाएगा, जिसका श्रय मैं पूरी तरह से पंजाब सरकार को देता हूं।
विधेयक के कानून बनने के बाद अब पाकिस्तान में सिख विवाह को गुरुग्रंथ साहिब में वर्णित रीतियों के अनुरूप ही पूरा किया जाएगा, जिसके बाद पंजाब प्रांत के द्वारा नियुक्त किया गया रजिस्ट्रार वैधता पत्र जारी करेगा। इसके तहत पाकिस्तान में रहने वाले सिख अपनी शादी का पंजीकरण करवा पाएंगे और पारित विधेयक ब्रिटेन शासन के दौरान पारित किए गए आनंद विवाह अधिनियम 1909 का ही संशोधित रूप होगा। आपको बता दें कि ये बिल हिंदू विवाह पंजीकरण के नियमों पर आधारित है, जिसमें शादी करने वाले जोड़े की उम्र 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए।
बिल में ये भी वर्णित है कि अगर पति-पत्नी एक साल से एक दूसरे से अलग रह रहे हैं और आगे साथ नहीं रहना चाहते तो वे अपनी मर्जी से शादी रद्द भी करवा सकते हैं। बिल में विधवा महिला को पति की मृत्यु के 6 महीने बाद दूसरी शादी करने का अधिकार भी दिया गया है। बिल में ये भी प्रावधान किया गया है कि कोई पुरूष पहली पत्नी के होते हुए दूसरी शादी नहीं कर सकता और अगर वो ऐसा करता है तो ये दंडनीय अपराध माना जाएगा। साथ ही विधेयक में हिंदू विवाह पंजीकरण के नियमों का उल्लंघन करने पर 6 महीने की सजा का भी प्रावधान किया गया है।