नई दिल्ली। मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड और आतंकी संगठन जमात-उद-दावा के सरगना हाफिज सईद को लेकर पाकिस्तान ने फिर अपना दोहरा चेहरा दिखा दिया है। दस महीने की नजरबंदी का नाटक करने के बाद आखिरकार उसे लाहौर हाई कोर्ट की एक न्यायिक पुनर्समीक्षा बोर्ड के जरिए रिहा कर दिया।
पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से कभी बाज नहीं आता है। जब भी अंतराष्ट्रीय समुदाय का दबाव पड़ता है तो पाकिस्तान हाफिज सईद को कैद करने का नाटक करता है और दबाव कम होते ही उसकी रिहाई कर देता है। इस बार फिर ऐसा हुआ है जब 10 महीने बाद हाफिज को कैद करके फिर रिहा कर दिया गया।
हाफिज सईद की रिहाई का रास्ता उसी रोज साफ हो गया था, जब न्यायिक पुनर्समीक्षा बोर्ड ने उस पर पाकिस्तान सरकार की ओर से लगाए गए जनता की सुरक्षा के लिए खतरे के आरोप को खारिज कर दिया था।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने जब इस्लामी चरमपंथ फैलाने वाले देशों के खिलाफ कार्रवाई की तो पाकिस्तान को इस बात का डर सताने लगा कि कहीं उस लिस्ट में उसका नाम भी ना आ जाए। इसी डर के चलते पाक ने तब हाफिज सईद, जफर इकबाल, अब्दुर्हहमान आबिद और काजी काशिफ नियाज पर नजरबंदी कर दी। अमेरिका को भरोसा दिलाने के लिए उसने हाफिज सईद और उसके साथियों को चौथी सूची के तहत सूचीबद्ध किया और अब दबाव की कमी के चलते उसे फिर एक बार छोड़ दिया गया।