नई दिल्ली। पाकिस्तान के फाउंडर चेयरमैन इम्तियाज रशीद कुरैशी ने भगत सिंह की फांसी के केस खुलवाएंगे। इसके साथ ही केस की याचिका में बदलाव किए जाएंगे। उसके बाद दौबारा फाइल की जाएगी। कुरैशी कहते हैं कि सांडर्स की हत्या के मामले में शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को दी गई सजा-ए-मौत एक न्यायिक हत्या थी। उस वक्त की अदालत ने अंग्रेजी सरकार की मंशा के अनुसार बिना न्यायोचित फैसला लिए तीनों को फांसी की सजा दी थी।
बता दें कि इसलिए अंग्रेजी हुकूमत इन शहीदों को जिस जगह फांसी दी गई थी वहां पर श्रद्धांजलि दे। साथ ही भारत-पाकिस्तान की जनता से अपने जुल्म के लिए माफी मांगे। साथ ही इन शहीदों के परिजनों को न्यायिक हत्या के लिए भारी मुआवजा दिया जाना चाहिए। बीते मंगलवार को कुरैशी ने प्रेसवार्ता के दौरान कहा कि शहीद भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को सजा-ए-मौत दिए जाने वाले केस को दोबारा खुलवाने के लिए उन्होंने लाहौर हाईकोर्ट में जो अर्जी दी है।
वहीं उसमें अब संशोधित याचिका दायर कर वह अंग्रेजी हुकूमत को भी उसमें पार्टी बनाएंगे। कुरैशी ने कहा कि उन्होंने साल 2013 में दायर मामले की जल्द सुनवाई के लिए गत 11 सितंबर को लाहौर हाईकोर्ट में एक अर्जी दाखिल की, जिस पर सुनवाई होना अभी बाकी है। उन्होंने बताया कि वह इस संदर्भ में लाहौर हाईकोर्ट के एडिशनल असिस्टेंट रजिस्ट्रार से मिल चुके हैं। उन्होंने उन्हें विश्वास दिलाया है कि भारत से उनके लौटने के बाद जल्द ही इस संबंध में कार्रवाई की जाएगी।
साथ ही कुरैशी ने कहा कि पाकिस्तान की अवाम की नजर में भगत सिंह एक हीरो है। सबसे पहले मोहम्मद अली जिन्ना ने ही भगत सिंह की शहादत को सलाम किया था। वह इस बात के लिए प्रयासरत हैं कि पाकिस्तान के स्कूल- कॉलेजों में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की शहादत की कहानी पढ़ाई जाए। उनका कहना था कि पाकिस्तान में भी लोग शहीद भगत सिंह को उतनी ही मोहब्बत और इज्जत देते हैं, जितना कि हिंदुस्तान देता। यहां भी उनकी इतनी ही इज्जत की जाती है जितनी भारत में की जाती है।