इस्लामाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन दिवसीय इजराइल दौरे से पाकिस्तान को चिंता सताने लगी है। पाकिस्तानी मीडिया लगातार पीएम मोदी के इजरायल दौरे को कवरेज दे रही है। पाकिस्तान के रक्षा विशेषज्ञों की भी इस पर नजर गड़ी हुई है। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, खास बात यह है कि मोदी इजराइल के दौरे पर जाने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। इस दौरे की मुख्य बात यह है वह फिलीपींस नहीं जाएंगे। पाकिस्तान के लिए सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि भारत और इजराइल के बीच रिश्ते मजबूत हो रहे हैं और इजरायल से अरबों डॉलर के रक्षा करार भी हो रहे हैं। दोनों देशों ने सुरक्षा, कृषि और ऊर्जा के क्षेत्र में मिलकर काम करने का संकल्प भी लिया है। साथ ही इजरायली कंपनियों को भारत में अपना व्यापार बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
पाकिस्तानी अखबारों ने भारत और इजराइल के बीच लगातार मजबूत हो रहे रिश्तों पर चिंता व्यक्त की है। साथ ही कहा है कि भारत के इस आक्रामक कदम को रोकने की जरूरत है।
बता दें कि रक्षा विशेषज्ञों ने भी इस दौरे को काफी अहम बताया है। उनका मानना है कि इस दौरे के बाद दोनों देशों के संबंध मजबूत होंगे और भारत कूटनीति के साथ-साथ सामरिक दृष्टि से भी अपनी स्थिति को मजबूत करेगा। साथ ही पाकिस्तान के लिए यह बड़ा झटका भी होगा। भारत ने इजरायल को 1950 में मान्यता दी थी लेकिन दोनों देशों के बीच 1992 में ही कूटनीतिक संबंध बन पाए थे। इसका कारण यह था कि भारत, इजरायल के विरोधी फिलिस्तीन के करीब था। इसके साथ ही चाहें वह चीन के साथ 1962 का युद्ध रहा हो या पाकिस्तान के साथ 65 और 71 का या फिर कारगिल युद्ध, इजरायल से काफी आयुध भारत ने लिया था। 1977 में भारत ने दोनों देशों के बीच संबंध सुधारने की कवायद तेज की थी। जिसे राजीव गांधी ने भी प्रधानमंत्री रहते हुए आगे बढ़ाया।
वहीं 1992 में नरसिम्हा राव ने पूर्ण राजनीतिक रिश्ते शुरू किए। इसके बाद 2015 में पहली बार राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने इजरायल का दौरा किया। इस तरह से दोनों देशों की बीच रिश्ते लगातार अच्छे होते रहे हैं। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा इसीलिए ऐतिहासिक माना जा रहा है क्योंकि यह दोनों देशों के बीच कूटनीति रिश्तों की नई इबारत लिखी जाएगी।