नई दिल्ली। हाल ही में कजाकिस्तान की राजधानी में हुए SCO समिट में भारत के तरफ चीन का रूख नरम रहा था। जिसके बाद अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर चीन और भारत के सम्बन्धों को लेकर आगे के गतिरोध खत्म करने लिए एक नई कवायद शुरू हो गई थी। इसके साथ ही चीन ने इस सम्मेलन में पाकिस्तान से थोड़ा बेरूखा अंदाज रखते हुए थोड़ा दूरी बनाई थी। जिसके बाद कहा जाने लगा था कि चीन और पाक के सम्बन्धों में अब दरार पड़ने लगी है। लेकिन हिन्द महासागर में बढ़ रही चीन और पाक की गतिविधियों ने इन सारे कयासों पर लगाम लगा दी है।
हाल में इन बातों के बाद चीन और पाकिस्तान ने संयुक्त सैन्य अभ्यास की शुरूआत कर अब हिंद महासागर में अपना दबदबा बढ़ाना चाह रहे हैं। इसके लिए इन्होने अरब सागर में संयुक्त युद्धाभ्यास शुरू कर दिया है। हांलाकि दोनों देशों ने इस बारे में कहा है कि वे अपनी नौसेना को बेहतर तालमेल के लिए हिंद महासागर में उतारा है। हांलाकि इसके बाद भारत और चीन के बीच एक बार सम्बन्ध फिर खराब हो सकते हैं। बीते शनिवार को चीन का एक य़ुद्धपोत चार दिवसीय दौरे पर कराची बंदरगाह पहुंचा है।
काफी पहले से भारत की ओर से चीन के ऊपर उसके बंदरगाहों की जासूसी करने के साथ उसके समुद्रीय मार्ग पर नजर रखने का काम किया जा रहा है। अब शनिवार को आये जंगी बेड़े में गाइडेड मिसाइल विध्वंसक चांगचुन, गाइडेड मिसाइल फ्रिगेज जिनझोउ और जलपोत चाओहू आदि शामिल हैं। चीन काफी समय से हिंद महासागर पर अपना अधिकार जमाना चाह रहा है। अब इसमें उसे पाकिस्तान का साथ मिल गया है। जिसके बाद उसके बेड़े और जंगी जहाज लगातार कराची और ग्वादर के बीच आवाजाही कर रहे हैं।
चीन की ओर से इस पर अपनी सफाई भी दी गई है। लेकिन चीन लम्बे समय से अपना सैन्य अड्डा पाकिस्तान में बनाने की फिराक में है। इसके लिए उसने कई बार सामरिक क्षेत्र में पाकिस्तान की मदद भी की है। इसके पहले अमेरिका की रक्षा इकाई पेंटागन ने इस बारे में एक रिपोर्ट जारी करते हुए कहा था कि चीन पाकिस्तान में अपने सैन्य ठिकाने जमा सकता है। फिलहाल चीन की इस हरकत के बाद भारत की चिंताए बढ़ी हैं।