देहरादून। पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार में आयोजित हो रहे ‘‘ज्ञान कुम्भ 2018‘‘ के प्रथम सत्र के अंतर्गत “Government’s Initiatives towards improving Quality of higher education in India” से संबंधित विषय के अंतर्गत विभिन्न राज्यों से आए महानुभावों ने अपने विचार व्यक्त किए। सत्र की अध्यक्षता नागालैंड के राज्यपाल श्री पद्मनाभ बालकृष्ण आचार्य ने की।
नागालैंड के राज्यपाल श्री आचार्य ने कहा कि हमें अपने राज्यों की शिक्षा पद्यतियों पर ध्यान देने की आवश्यकता है। हमारी शिक्षा पद्धति अपने राज्य की आवश्यकताओं, जरूरतों के अनुरूप होनी चाहिए। गरीब और वंचित लोगों को समर्थ बनाना ही हमारी शिक्षा का उद्देश्य होना चाहिए। भारत को सशक्त व समृद्ध बनाने के लिए हमें अपनी शिक्षण पद्धतियों को रिफॉर्म करने की आवश्यकता है।
उप मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश डॉ दिनेश शर्मा ने कहा कि शिक्षा में सुधार के लिए हमें शिक्षकों के मानसिक तनाव को कम करने की कोशिश करनी चाहिए, तभी अध्ययन अध्यापन सही प्रकार से हो सकेगा। हमारी शिक्षा व्यवस्था आधुनिक आवश्यकताओं के अनुसार होनी चाहिए। उच्च शिक्षा मंत्री मणिपुर श्री तोकचोम राधेश्याम ने कहा कि हमें शिक्षा को मात्र नौकरी पाने का साधन नहीं समझना चाहिए। हमें शिक्षा में शोध केंद्रित माहौल बनाना होगा। इसके लिए विशेष प्रयास करने होंगे।
झारखंड की उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मीरा यादव ने कहा कि शिक्षार्थियों के सम्पूर्ण विकास के लिए कौशल विकास के साथ साथ संस्कारिक शिक्षा को पाठ्यक्रम में शामिल करना चाहिए। उच्च शिक्षा मंत्री मेघालय लहकमेन रिंबुई ने कहा कि हमें शिक्षार्थियों की वीकनेस के बजाय उनकी स्ट्रेंथ को पहचानना चाहिए। उसे ढूंढ कर प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिए शिक्षा का आधुनिकीकरण करने की आवश्यकता है। इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने कहा कि हमारी शिक्षा समावेशी होनी चाहिए, संवेदनाओं से युक्त होनी चाहिए। शिक्षा हमारे संस्कारों में, हमारे व्यक्तित्व में दिखनी चाहिए।