मेरठ। उत्तर प्रदेश में आटा ,तेल, दाल-चावल सामग्री का ओवर्स्टॉक, जिला प्रशाशन की आंखों में धूल झोंक हो रही हैं काला बाजारी ,ऊँचे दामो पर बिक रहा दलहन। बड़ी आटा मिल्स व दाल मिल्स व तेल की प्रोसेसिंग यूनिट्स में भारी जमा खोरी जमकर हो रही है। मेरठ, बिजनोर, गाजियाबाद आगरा बरेली शाहरणपुर, मुज़फ्फरनगर मेंये काम ज्यादा हो रहा है। लोगों की ये जिला प्रशासन से प्रार्थना है कि वो प्राइवेट मिल्स, को टेकओवर कर कंट्रोल रेट पर माल बिक़वाये।
बता दें कि इस बात को लेकर मेरठ के उत्तर प्रदेश श्रम कल्याण परिषद के अध्यक्ष/ राज्यमंत्री पंडित सुनील भराला ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए ग्रामीण क्षेत्र के परिवारों को संयम के साथ घरों में रहने की अपील करता हूं साथ ही कहा कि में जमाखोरों को सावधान करता हूं कि अगर कालाबाजारी की और प्रिंट रेट से ज्यादा रेट पब्लिक से वसूले तो उनके खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की जाएगी साथ ही कहा कि प्रदेश की जनता मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री के आदेश का पालन करें।
वहीं मंत्री जी के प्रेस वार्ता के बाद भी जिला प्रशासन पर इसका कोई असर नहीं हुआ है। जिला प्रशासन ने इसके खिलाफ अभी तक कोई कदम नहीं उठाया है। इसी के साथ लाइसंस के नाम पर भी कालाबाजारी जोरों पर चल रही है। मंत्री के आदेश के बाद भी ये सब रूकने का नाम नहीं ले रहा है। लॉकडाउन के चलते जहां एक तरफ कई परेशानियों का सामना कर रही है वहीं राशन के नाम पर कालाबाजारी उनकी कमर तोड़े हुए हैं। इस तरह की प्रक्रिया को रोकने का सरकार के पास एक ही उपय है कि सभी राशन की दुकानों का संचालन सरकारी अधिकारियों की निगरानी में कराया जाए। क्योंकि वर्तमान समय में आटा 40 रूपये किलो के भाव पर बेचा जा रहा है। जिससे गरीब लोगों को कोई फायदा नहीं मिल रहा है।