देहरादून। सूबे की त्रिवेन्द्र सिंह रावत सरकार और केन्द्र की मोदी सरकार भले ही देवभूमि की दशा और दिशा सुधारने के प्रयास करे लेकिन सूबे के कुछ मंत्री हैं कि सुधरने का नाम ही नहीं लेते हैं। देवभूमि उत्तराखंड को अस्तित्व में आए 17 साल हो गए हैं। हाल में ही उत्तराखंड ने अपना स्थापना दिवस बड़ी धूम-धाम से मनाया है। सूबे के विकास के लिए संकल्प से सिद्धि का सूत्र अपनाने की बात कही है। लेकिन सूबे के कुछ मंत्री अभी भी अपने पद और ओहदे को आम जनता से ऊपर मानकर बैठे हैं।
जी हां हम बात कर रहे है सूबे के शिक्षा मंत्री माननीय अरविंद पान्डेय जी की, जिनके लड़के की शादी बीते 28 नवम्बर को थी। मंत्री जी ने इस विवाह कार्यक्रम में अपने विभाग के लोगों को सारी व्यवस्था की जिम्मेदारी दे दी थी। इसका एक नमूना बागेश्वर से मिले एक सरकारी आदेश में देखने को मिला है। मंत्री जी के बेटे की शादी का कार्ड बांटने के लिए सरकारी विद्यालय के प्रधानाचार्यों को बाकायदा आदेश देकर ड्यूटी पर लगाया गया था। अब मंत्री जी ये बताएं कि अध्यापक स्कूलों में बच्चों के पढ़ाने के लिए रखे गए हैं या फिर आपकी आवाभगत करने के लिए, लेकिन इससे बड़ा ताजुब इस बात का है कि मंत्री जी के लड़की की शादी का कार्ड बांटने के लिए बाकायदा आदेश कैसे जारी किया गया।
फिलहाल इस मामले में अभी तक मंत्री जी या विभाग की ओर से कोई सफाई नहीं आई है। लेकिन सूबे में शिक्षा की हालत पहले से ही खराब बनी हुई है। राज्य सरकार और केन्द्र सरकार इस दिशा में काम करने में लगी हुई हैं। लेकिन ऐसे मंत्री जी के तुगलकी फरमान के बाद शिक्षा विभाग का क्या होगा ये आने वाला वक्त ही तय करेगा। लेकिन अभी तो मंत्री जी के बेटे की शादी महत्वपूर्ण है।