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SC/ST एक्ट पर मोदी सरकार को विपक्ष ने घेरा, भारत बंद को विपक्ष का सपोर्ट

17 SC/ST एक्ट पर मोदी सरकार को विपक्ष ने घेरा, भारत बंद को विपक्ष का सपोर्ट

नई दिल्ली। एससी एसटी एक्ट को लेकर बीते 20 मार्च को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने नई गाइड लाइन जारी की है। जिसको लेकर पूरे देश में कई राजनीति दलों और एससी एसटी समुदाय में खासा रोष व्याप्त है। यह रोष अब सड़कों पर पहले प्रदर्शन में निकला लेकिन अपनी मांगो को लेकर ये प्रदर्शन अब हिंसक हो गया। दलित समुदाय अपने आपको समाज में वंचित बताता है। इससे समाज में खड़ा होने के लिए संविधान में कई सहूलियतें मिली हुई थी। इनके उत्पीडन को रोकने के लिए कानूनों को कठोर बनाया गया था। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल देते हुए । इसके अधिकारों को संरक्षित करने और उत्पीडन से रोकथाम करने वाले इस कानून में कुछ व्यापक बदलाव कर दिए हैं। जिसको लेकर ये समुदाय काफी रोष में आ गया है।

 

17 SC/ST एक्ट पर मोदी सरकार को विपक्ष ने घेरा, भारत बंद को विपक्ष का सपोर्ट

विपक्ष को मिला मुद्दा

देश में भारतबंद का आह्वान कर इस समुदाय ने इस मामले में सीधे तौर पर केन्द्र सरकार पर निशाना साधा है। इनके साथ देश के कई राजनीति दलों ने अप्रत्यक्ष और प्रत्यक्ष तौर इस आंदोलन का सहयोग किया है। कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मामले में ट्वीट करते हुए कहा कि दलितों को भरतीय समाज के सबसे निचले पायदान पर रखना आरएसएस और भाजपा के साथ एनडीए में है। जो इस सोच को चुनौती देता है उसे वे हिंसा से दबाते हैं। हजारों दलित भाई-बहन सड़कों पर उतरकर मोदी सरकार से अपने अधिकारों की रका की मांग कर रहे हैं। हम उनको सलाम करते हैं।

वहीं इस मामले में तेजस्वी यादव ने भी ट्वीट का सहारा लेते हुए मोदी सरकार पर निशाना साधा है।उन्होने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट के सामने क्यों नहीं बेहतरीन ढंग से आई वो अध्यादेश के जरिए इस बात को क्यों नहीं लागू करती है।वो पुर्नविचार याचिका के जरिए सुप्रीम कोर्ट में जाने का नाटक क्यूं कर रही है। सरकार की पुर्निविचार याचिका और इस आदेश के खिलाफ हम एससी-एसटी के भारत बंद का समर्थन करते हैं।

 

हांलाकि इस मामले में भाजपा की बहराइच सांसद ने भी अपनी सरकार पर संगीन आरोप लगाए हैं।लखनऊ में आयोजित एक रैली को संबोधित करते हुए सावित्री बाई पुले ने कहा कि आरक्षण खत्म करने की साजिश की जा रही है। दलित समाज बर्दाश्त नहीं करेगा। वहीं केन्द्र सरकार में मंत्री और बिहार के दलित नेता रामबिलास पासवान ने सरकार की ओर से इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि सरकार दलितों की प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है। इस मामले में सरकार की ओर से माननीय सुप्रीम कोर्ट के समक पुर्नविचार याचिका दाखिल की जा रही है।

 

आखिर क्या नया आदेश
बीते 20 मार्च को एससी-एसटी एक्ट में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा परिवर्तन कर दिया। कोर्ट द्वारा नई गाइडलाइन के तहत अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989  के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी गई है। इसके साथ ही अब तुरंत शिकायत पर मुकद्दमा दर्ज नहीं होगा। मामले की जांच डीएसपी लेवल का अधिकारी करेगा। इसके साथ ही इस जांच को लेकर एक समय सीमा निर्धारित होगी। इसके साथ ही इस नियम के तहत अगर कोई सरकारी कर्मचारी इसका दपरूपयोग करता है। तो उसकी गिरफ्तारी के लिए विभागीय अधिकारी की अनुमति की जरूरत होगी। सरकारी कर्मचारी की गिरफ्तारी सिर्फ सकम अथॉरिटी की इजाजत के बाद हो सकती है। इसके साथ ही इसम मामले में बड़े पैमाने पुर गलत इस्तेमाल की बात सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार करते हुए कहा कि  इस मामले में सरकारी कर्मचारी अग्रिम जमानत के लिए भी आवेदन कर सकते हैं। इस मामले में एससी-एसटी एकच के तहत गिरफ्तार व्यक्ति को  जब न्यायिक अधिकारी के सामने पेश किया जाए तो उस वक्त आरोपी की हिरासत बढ़ाने के पहले उसे गिरफ्तारी की वजहों की समीक्षा करनी होगी। इसके साथ ही जो लोग सरकारी कर्मचारी नहीं है उनकी गिरफ्तारी एसएसपी की इजाजत से ही हो सकेगी। इसके साथ ही कोई कर्मचारी इस गाइडलाइन का उल्लंघन करता है तो उसे विभागीय कार्रवाई के साथ कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई का भी सामना करना पड़ेगा।
पहले क्या था नियम
20 मार्च को माननीय सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में नई गाइड लाइन जारी की है। इसके पहले इस मामले में एससी/एसटी एक्ट में जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल संबंधी शिकायत पर तुरंत मामला दर्ज होता था। इन मामलों की जांच  इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अफसर ही करते थे। इन मामलों में मामला दर्ज होते ही आरोपी की गिरफ्तारी की जाती थी। इन मामलों में अग्रिम जमानत का प्रावधान नहीं था। ऐसे मामलों में हाईकोर्ट से ही जमानत मिलती थी। इसके साथ ही ऐसे मामलो में  सरकारी कर्मचारी के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दायर करने से पहले जांच एजेंसी को अथॉरिटी से इजाजत नहीं लेनी होती थी। इसके साथ ही इन मामलों की सुनवाई के लिए सिर्फ स्पेशल कोर्ट में होती थी।
हांलाकि इस मामले में सरकार की ओर से एक पुर्नविचार याचिका दाखिल कर दी गई है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ जहां देशभर के दलित संगठन लामबंद हैं। वहीं विपक्षी दलों ने भी सरकार पर जमकर निशाना साधा है। विपक्षी दलों ने सरकार को इस मामले में हीलाहवाली करने और दलितों का शोषण करने का आरोप लगाया है। विपक्ष ने इस मामले में सरकार के खिलाफ हो रहे भारतबंद का समर्थन करते हुए। संसद में  इस मामले में अध्यादेश लाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने का काम किया जा रहा है।
Piyush Shukla SC/ST एक्ट पर मोदी सरकार को विपक्ष ने घेरा, भारत बंद को विपक्ष का सपोर्ट अजस्रपीयूष शुक्ला

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