बिहार

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विरोध हवा में तलवार चलाने जैसा :सुशील मोदी

Sushil modi मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विरोध हवा में तलवार चलाने जैसा :सुशील मोदी

पटना। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और बिहार विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि जब केन्द्र सरकार ने गत सितम्बर से लेकर अब तक आधे दर्जन पत्र लिख कर यह स्पष्ट कर दिया है कि इलाहाबाद से हल्दिया के बीच गंगा पर कोई बराज नहीं बनाया जायेगा तो फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विरोध क्या हवा में तलवार चलाने जैसा नहीं है ? भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी ने यहां पत्रकारों से बातचीत में कहा कि भारत-बंगलादेश समझौता के तहत निर्मित पश्चित बंगाल स्थित फरक्का बराज को तोड़ना तो मुख्यमंत्री के बस की बात नहीं है मगर गंगा की अविरलता और बढ़ते गाद को रोकने के लिए क्या पटना के आस-पास गंगा के बेड में जो सैकड़ों मकान और हजारों ईंट-भट्ठे बन गए हैं, उन्हें तोड़ने-हटाने पर विचार करेंगे ?

Sushil modi मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का विरोध हवा में तलवार चलाने जैसा :सुशील मोदी

सुशील मोदी ने कहा कि 1937 में राजेन्द्र बाबू की पहल पर पटना में हुए एक सम्मेलन का भी निष्कर्ष था कि ‘तटबंध लाभ के मुकाबले अधिक नुकसान पहुंचाते हैं ।’ बिहार में पिछले 50 वर्षों में तटबंधों की लम्बाई कई गुना बढ़ने के साथ ही बाढ़ प्रभावित क्षेत्र तीन गुना बढ़ गया है । तटबंधों की उपयोगिता पर पिछले सौ वर्षों से बहस चल रही है क्योंकि तटबंध भी गाद व बाढ़ की समस्या का एक प्रमुख कारण है। क्या मुख्यमंत्री तटबंधों को तोड़ने और बागमती तटबंध के निर्माण पर रोक लगायेंगे ?

केन्द्र सरकार ने पिछले वर्ष पटना में आई बाढ़ के बाद जो अध्ययन कराया है उसमें स्पष्ट है कि फरक्का बराज का दुष्प्रभाव 42 किमी अपस्ट्रीम तक ही है जबकि पटना तो 400 किमी दूरी पर अवस्थित है फरक्का बराज । बड़ी मात्रा में गाद लेकर गंगा में मिलने वाली गंडक, घाघरा और कोसी जैसी नदियों के कारण भी गंगा की अविरलता में बाधा आई है । गंगा सहित सभी नदियों की अविरलता बनी रहे इसके लिए राजनीति से अलग हटकर वैज्ञानिक दृष्टि से विचार करने की जरूरत है।

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