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आपरेशन ब्लू स्टार: 32वीं बरसी पर ताजा हुईं यादें

Blue Star आपरेशन ब्लू स्टार: 32वीं बरसी पर ताजा हुईं यादें

1 जून को ही ब्रिगेडियर केएस बरार अपने डिप्टी ब्रिगेडियर एम के तलवार के साथ अमृतसर पहुंच थे। लेफ्टिनेंट कर्नल केएस रंधावा और ब्रिगेडियर डीवी राव दरबार साहब से गुप्त सूचनाएं हासिल कर रहे थे। उनकी मदद के लिए 12 बिहार बटालियन खड़ी थी, और अधिक गुप्त सूचनाएं लेने का जिम्मा कैप्टन जसबीर को सौंपा गया जो गोल्डन टेंपल में सादे कपड़ों में तैनात थे। इस तरह 1 जून को इस ऑपरेशन की सारी तैयारी मुकम्मल कर ली गई थी। जब सारी तैयारी मुकम्मल हो गई तो 2 जून 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने टीवी पर एक संदेश दिया। उन्होंने अपने संदेश में सैन्य कार्यवाही जैसी कोई बात नहीं की थी। इसके बावजूद 12 बिहार बटालियन के सैनिकों ने गोल्डन टेंपल कंपलेक्स को घेर लिया था। सीआरपीएफ ने पहले से ही दरबार साहब के इर्द-गिर्द पोजीशन ली हुई थी।

Blue Star 02

दिल्ली में ऑपरेशन ब्लू स्टार की सारी कार्रवाई की निगरानी राजीव गांधी और अरुण नेहरू कर रहे थे। 3 जून 1984 को सुबह सवेरे 12 बिहार के फौजियों ने गोल्डन टेंपल की सभी इमारतों पर मोर्चा संभाल लिया। उनके पास घातक हथियार थे इस यूनिट का कमांडिंग ऑफिसर लेफ्टिनेंट कर्नल रंधावा थे। उन्होंने हमले के लिए ठिकानों की निशानदेही पहले से ही कर ली थी।

3 जून को रात 9 बजे पूरे पंजाब में 36 घंटे के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया जिससे यह संकेत मिल गया था की सेना आज रात ही कार्रवाई करेगी। गोल्डन टेंपल के अंदर बैठे आतंकियों की कमान जनरल सुभेग सिंह के पास थी उन्होंने इस हमले का अंदाजा लगा लिया था। जनरल सुभेग ने विभिन्न मोर्चों पर अपने समर्थकों को तैनात कर दिया था।

3 तारीख की रात को ही दरबार साहब से 300 मीटर की दूरी पर सेना ने अपना कंट्रोल रूम कायम कर लिया था। 4 जून को गोल्डन टेंपल के बिजली पानी के कनैक्शन काट दिए गए थे। मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ जमा होने लगी थी।

आगे सेना ने कैसे किया स्वर्ण मंदिर में प्रवेश

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