एजेंसी, पेरिस। प्लास्टिक एक ऐसी चीज है, जो लाखों साल में भी खत्म नहीं होती है। दुनिया के हर देश में प्लास्टिक के इस्तेमाल को कम करने के लिए आंदोलन चल रहा है। समुद्र से लाखों टन प्लास्टिक निकाली जा रही है क्योंकि इससे जलीय जीवन को खतरा पैदा हो गया है। शोधकर्ता इससे निपटने के लिए हर संभव कोशिश कर रहे हैं। इसी कड़ी में एक फ्रेंच खोजकर्ता ने ऐसी मशीन का अविष्कार किया है, जो एक किलो प्लास्टिक से एक लीटर पेट्रोल और डीजल बना सकती है।
फ्रांस के खोजकर्ता क्रिस्टोफर कोस्टेस की बनाई मशीन प्लास्टिक को एक तरल ईंधन में तोड़ने में सक्षम है। इस ईंधन को ‘क्रिसलिस’ कहते हैं। इस प्रकिया में प्लास्टिक के टुकड़ों को 450 डिग्री सेल्सियस पर गर्म किया जाता है। इतने ताप में वे अलग-अलग हाइड्रोकार्बन में विघटित हो जाते हैं और कार्बन भी मिलता है।
प्रकिया में मशीन इस प्लास्टिक से एक तरल पदार्थ निकालती है, जिसमें 65 प्रतिशत डीजल निकलता है। इसका इस्तेमाल जनरेटर या नाव की मोटरों को चलाने के लिए किया जा सकता है। 18 प्रतिशत पेट्रोल निकलता है, जिसका इस्तेमाल लैंप जलाने के लिए किया जा सकता है। साथ ही 10 प्रतिशत गैस निकलती है, जिसका इस्तेमाल हीटिंग के लिए किया जा सकता है और अंत में 7 प्रतिशत बचा हुआ कार्बन निकलता है, जो क्रेयान्य या रंगों के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
बता दें कि इस प्रक्रिया में पायरोलिजिंग यानी प्लास्टिक के अणुओं को तोड़कर उन्हें हल्के हाइड्रोकार्बन में बदला जाता है। क्रिस्टोफर ने इस क्रिसलिस को विकसित करने के लिए पर्यावरण संगठन ‘अर्थ वेक’ के साथ काम किया। इसकी कीमत करीब 50 हजार यूरो है। टीम का कहना है कि अभी यह मशीन हर महीने 10 टन प्लास्टिक को ईंधन में बदल सकती है।
टीम ने बताया कि यह मशीन विकासशील देशों के लिए एक बड़ा वरदान हो सकता है, जहां प्लास्टिक और महंगे ईंधन की कीमतें दोनों वास्तविक समस्याएं हैं। इससे समुद्र में फेंके जाने वाले लाखों टन प्लास्टिक के कचरे की समस्या का भी समाधान हो सकता है। टीम को उम्मीद है कि वह साल 2019 के मध्य तक मशीन के एक बड़े संस्करण का निर्माण कर सकती है, जो प्रति घंटे 40 लीटर ईंधन बनाने में सक्षम होगी।