कश्मीर का भविष्य भारत, पाकिस्तान नहींः उमर अब्दुल्ला

भारत ने कश्मीरियों से किए वादे नहीं किए पूरे
भारत खबर, जम्मू कश्मीर-राजेश विद्यार्थी
नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने नई किताब ‘बंशानुक्रम का बोझ‘ के विमोचन समारोह में कहा कि “वह धुर दक्षिणपंथी राष्ट्रवादी नेताओं के नजरिए वाला भारतीय नहीं बन सकते हैं और न ही ऐसे लोगों के नजरिए वाला कश्मीरी बन सकते हैं, जो भारत के एक हिस्से के तौर पर कश्मीर का कोई भविष्य नहीं देखते।” उन्होंने अपने वंश का बोझ ढ़ोने की बात कहते हुए अपने आप को एक तरह से भारतीय कहा और भारत के प्रति आस्था जताई। उमर अब्दुल्ला ने कहा कि ऐसे में सबसे अच्छा यही है कि आप दूसरों के अनुसार खुद को नहीं ढालें। आप जैसे हैं वैसे ही रहें। यह बयान तब आया है, जब एक और उनके पिता एवं पूर्व मुख्यमंत्री डा फारूक अब्दुल्ला गुपकार घोषणा पर अड़े हुए हैं। गुपकार घोषणा में धारा 370 और 35ए को दोबारा बहाल करके जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने की मांग है।
दिल्ली ने बात करने के लायक नहीं छोड़ा
जम्मू। उमर ने कहा दिल्ली ने हमें इस मुद्दे पर और बात करने लायक नहीं छोड़ा लेकिन प्रधानमंत्री मोदी से कभी भी जम्मू-कश्मीर में जो किया गया है, उसे वापस लेने को नहीं कहेंगे। इस किताब का विमोचन हाल में ही किया गया था। अब्दुल्ला ने किताब के लेखकों प्रदीप छिब्बर और हर्ष शाह के साथ एक इंटरव्यू में कहा, जम्मू-कश्मीर भारत का एक अभिन्न हिस्सा है। मेरी हिरासत और पांच अगस्त के बाद के हालात से भी मेरा यह विचार नहीं बदला है कि कश्मीर भारत का है। उन्होंने कहा कि क्योंकि मैंने यह सोच सभी तरह की चीजों को जोड़ते हुए बनाई है। मुझे नहीं लगता कि भारत से अलग जम्मू-कश्मीर का कोई भविष्य हो सकता है। यह किताब पाठकों को देश की अगली पीढ़ी के 20 सबसे प्रभावशाली नेताओं के साक्षात्कारों के जरिए भारत की समकालीन राजनीति की दिशा जानने का मौका देती है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया और कहा, च्भारत ने पांच अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर के साथ जो किया वह कहीं से भी जायज नहीं है।्उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के साथ बहुत, बहुत बुरा् सलूक किया गया और कश्मीर से किया गया हर एक वादा तोड़ दिया गया।
पिछले साल हिरासत में लिया गया था
जम्मू। उमर अब्दुल्ला को 2019 में हिरासत में लिया गया था। जब जम्मू कश्मीर से धारा 370 और 35 ए हटाया गया था। फरवरी में उमर अब्दुल्ला पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट का मामला दर्ज किया गया। उनके पिता डा फारूक अब्दुल्ला को भी हिरासत में लिया गया और पीएसए भी लगाया गया था। फारूक को 24 मार्च २०२० को उनको रिहा किया गया। 221 दिनों तक हिरासत में रखने के बाद 13 मार्च 2020 को उमर की रिहाई हुई थी। पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती घर पर ही नजरबंद है।