नई दिल्ली। अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश अब भारत से एक कारतूस बनाने के ऑर्डर दे रहा है। हालांकि ओएफबी की कार्यशैली को लेकर विवाद खड़ा होता रहता है। लेकिन वहीं इस बार अमेरिका से एक्सपोर्ट ऑर्डर मिलना ओएफबी और देश के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। अमेरिकी सेना नाटो एम-193 बॉल कम्युनिकेशन अपनी राइफल और कारबाइन के इस्तेमाल करती है। काफी लंबे समय से अमेरिका और दूसरे नाटोंकृदेशों की सेनाएं इस कारतूस का इस्तेमाल करती हैं। इसी जरूरत के लिए अब अमेरिका भारत की मदद ले रहा है।
अमेरिका के लिए 5.56X 45 एमएम नाटो एम193 बॉलएम्युनिशेन तैयार-
बता दें कि गोलाबारूद के निर्यात की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए भारत अब अमेरिका के लिए कारतूस बनाने का काम कर रहा है। सरकारी उपक्रम ओएफबी के मुताबिक, अमेरिका के लिए ‘नाटो एम-193 बॉल-एम्युनिशेन’ यानि कारतूस महाराष्ट्र स्थित प्लांट में तैयार किए जा रहे हैं और इस वित्तीय वर्ष में सप्लाई पूरी होने की उम्मीद है। ऑर्डनेन्स फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) के मुताबिक, महाराष्ट्र के वरनगांव स्थित ओएफबी प्लांट में अमेरिका के लिए 5.56X 45 एमएम नाटो एम193 बॉलएम्युनिशेन तैयार किया जा रहा है। ओएफबी को ये एक्सपोर्ट-ऑर्डर पिछले महीने यानि अक्टूबर में सीधे अमेरिका से मिला था। इस एक्सपोर्ट ऑर्डर को इसी वित्तीय वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा। हालांकि, ओएफबी ने ये नहीं बताया है कि अमेरिका के लिए कितने कारतूस बनाए जाएंगे और ये सौदा कितनी कीमत का है।
रक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2025 तक 5 बिलियन डॉलर निर्यात लक्ष्य रखा-
इसी साल भारत की बीईएल (सरकारी) कंपनी ने आर्मेनिया से स्वदेशी ‘स्वाथी’ वैपन लोकेशन रडार सिस्टम एक्सपोर्ट करना का सौदा किया था। इसके अलावा भारत स्वदेशी फाइटर जेट एलसीए तेजस और सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, ब्रह्मोस को भी निर्यात करने का प्लान बना रहा है। अमेरिका से एक्सपोर्ट ऑर्डर मिलना ओएफबी और देश के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। क्योंकि अभी तक भारत की पहचान दुनिया के सबसे बड़े आर्म्स-इंपोर्टर देश के तौर पर है। लेकिन पिछले कुछ समय से मोदी सरकार रक्षा क्षेत्र में निर्यात पर जोर दे रही है। रक्षा मंत्रालय ने वर्ष 2025 तक रक्षा-क्षेत्र में करीब 5 बिलियन डॉलर यानि करीब करीब 35 हजार करोड़ रूपये का निर्यात लक्ष्य रखा है। वर्ष 2018-19 में भारत का डिफेंस सेक्टर में निर्यात करीब 11 हजार करोड़ का था (10,745 करोड़), जो 2016-17 के मुकाबले सात गुना ज्यादा था।