बहरोड़ से संदीप कुमार शर्मा की रिपोर्ट
बहरोड़। राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अलवर के निर्देशानुसार संविधान दिवस पर गुरुवार को संपूर्ण प्रदेश में 26 नवंबर 2020 से 2 दिसंबर 2020 तक एक सप्ताह तक विशेष आयोजन किए जाएंगे। इस मौके पर बहरोड़ व नीमराना में संविधान दिवस पर भारत के संविधान के नियमों की पालना करने की शपथ ली। जिसके तहत विधिक सेवा समिति बहरोड़ के द्वारा संविधान दिवस के अवसर पर उपकारागृह बहरोड़ में जागरूकता शिविर लगाया गया। जिसमें पैनल अधिवक्ता भूपेंद्र कुमार ने उपस्थित कैदियों को भारत के संविधान के नियमों की पालना करने की शपथ दिलाई। इस अवसर पर सचिव कपिल यादव, उपकारापाल रविंद्र उपाध्याय, जेल प्रहरी योगेश यादव व अन्य जवान उपस्थित रहे।
कैदियों को मौलिक कर्तव्यों के बारे में बताया गया-
इस दौरान कैदियों को बताया गया कि भारत देश का संविधान 26 नवंबर 1949 को बनकर तैयार हुआ था तथा 26 जनवरी 1950 से संविधान अमल में लाया गया। इसलिए 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है। संविधान के 42वें संशोधन 1976 के द्वारा मौलिक कर्तव्य को संविधान में जोड़ा गया संविधान 42वें संशोधन अधिनियम (1976) के द्वारा भाग 4-क तथा अनुच्छेद 51-क जोड़कर नागरिकों के 10 मूल कर्तव्यों का उल्लेख किया गया। 86वां संविधान संशोधन अधिनियम 2002 के द्वारा संविधान में 11वां मूल कर्तव्य और जोड़ा गया। जिसके अनुसार जो माता-पिता या संरक्षक है 6 वर्ष से 14 वर्ष के मध्य आयु के अपने बच्चों या यथास्थिति अपने पाल्य को शिक्षा का अवसर प्रदान करें। हमारे देश के नागरिक के उपयुक्त मौलिक कर्तव्य बहुत स्पष्ट तथा उचित हैं। जिसमें कोई ऐसी बात नहीं है जिससे किसी की भावना को ठेस पहुंचने की आशंका पाई जाती है।
मौलिक कर्तव्य केवल नागरिकों के लिए होता है- पैनल अधिवक्ता
इसके साथ ही पैनल अधिवक्ता ने बताया कि मौलिक कर्तव्य केवल नागरिकों के लिए होता है। इसकी पालना करना उनका उत्तरदायित्व है। संविधान दिवस के अवसर पर अन्य स्थानों पर भी कार्यक्रम आयोजित किए गए। इसी क्रम में न्यायालय परिसर बहरोड़ में न्यायालय स्टाफ एम अधिवक्ता द्वारा भारत के संविधान के नियमों की पालना करने की शपथ ली गई। ग्राम न्यायालय नीमराना में न्यायालय स्टाफ अधिवक्ता गणों द्वारा भारत के संविधान के नियमों की पालना में शपथ ली गई।