लखनऊ: उत्तर प्रदेश में लड़कियों के शिक्षित होने का आंकड़ा बड़ा सुकून देने वाला है। पिछले तीन दशक के आंकड़ों पर नजर डालें तो इसमें दोगुने की बढ़ोत्तरी हुई है। यूपी बोर्ड के द्वारा उपलब्ध जानकारी के अनुसार यह पता चला।
दसवीं में दाखिले के लिए आगे आ रही बेटियां
यूपी बोर्ड के समक्ष पंजीकृत छात्र-छात्राओं की संख्या का अध्ययन करने पर बड़ा दिलचस्प आंकड़ा सामने आता है। वर्ष 1991 के दौर में 10वीं की पढ़ाई के लिए जहां मात्र 20 प्रतिशत छात्राओं का पंजीकरण हुआ था। वहीं इस बार 2021 में यह संख्या 44 प्रतिशत के करीब पहुंच गई है।
इस खबर का समाज में बड़ा सकारात्मक संदेश जायेगा। एक तरफ जहां महिला सुरक्षा के चलते कई लड़कियों के स्कूल छोड़ने की खबर आती है। उसमें यह जानकारी सुकून देने वाली है। शिक्षित लड़कियों का समाज की प्रगति और शिक्षा में अहम योगदान होता है।
इंटरमीडियट में भी काफी बेहतर है संख्या
हाईस्कूल के बाद इंटर की पढ़ाई तक स्कूल जाना भी काफी महत्वपूर्ण होता है। कई बार आर्थिक या अन्य परेशानियों के चलते भी शिक्षण कार्य आगे नहीं बढ़ पाता। इसमें छात्र-छात्रा दोनों की संख्या लगभग एक जैसी ही होती है।
कई बार लड़कियों को घर बिठाने के मामले ज्यादा नज़र आते हैं। यूपी बोर्ड के डाटा का अध्ययन 12वीं की छात्राओं में थोड़ा अलग है। 1991 में पंजीकृत छात्राओं की संख्या 25 प्रतिशत के आसपास थी, जो 2021 में बढ़कर 43 प्रतिशत पहुंच गई है।
बदल रही है सोच
यूपी बोर्ड में ज्यादातर छात्राएं गरीब तबके से आती हैं, जिनका परिवार पढ़ाई का खर्च बड़ी मुश्किल से उठा पाता है। ऐसे में कई बार शिक्षा के बिना ही जिंदगी गुजारनी पड़ती है, लेकिन अब समाज में बदलाव आ रहा है। पिछले तीन दशक का आंकड़ा कुछ यही संकेत दे रहा है। लड़कियों की शिक्षा के प्रति जागरूकता समाज को बेहतर कल की तरफ ले जा रही है।