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अब यू.एन.बिस्वास ने छोड़ा ममता का साथ, पार्टी में करप्शन के चलते लिया फैसला

44 अब यू.एन.बिस्वास ने छोड़ा ममता का साथ, पार्टी में करप्शन के चलते लिया फैसला

कोलकाता – बता दे कि वेस्ट बंगाल में ममता बनर्जी के एक और भरोसमंद सहयोगी ने उनसे किनारा कर लिया है। उनका नाम है यू.एन. बिस्वास। वो 2011 से 2016 तक ममता कैबिनेट में मंत्री थे। साथ ही बता दे कि वो सीबीआई के अतिरिक्त निदेशक के पद से रिटायर हुए है। बिहार में चारा घोटाले में उन्हीं की जांच लालू के जेल जाने की वजह बनी थी।

ममता की तरफ से किया गया था पार्टी में आने का अनुरोध –
उन्होंने कहा कि मैं 2002 में रिटायर हुआ। राजनीति में मेरी एंट्री 2011 में हुई। 2011 वह साल था, जब ममता बंगाल में बदलाव के लिए लड़ रही थी। राजनीति में आने का अनुरोध ममता की तरफ से ही हुआ था। मैं भी बंगाल में बदलाव चाह रहा था। इस वजह से मैंने उनके प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। साथ ही उन्होंने बताया कि 2011 में चुनाव जीतने के बाद उन्होंने मुझे कैबिनेट मंत्री बनाया। 2016 में मेरी हार पर वे हतप्रभ थी। मैंने उन्हें बताया कि पार्टी के ही लोगों के भितरघात की वजह से हार हुई है तो उन्होंने कहा कि दादा आप कैबिनेट मिनिस्टर थे और रहेंगे। उन्होंने मुझे अनुसूचित जाति और पिछड़ा वर्ग विकास निगम का अध्यक्ष बना दिया जो कैबिनेट मिनिस्टर रैंक का है।

अचानक क्यों कर लिया पार्टी से किनारा –
उन्होंने कहा कि मैं उन लोगों में नहीं हूं जो सच को देखकर भी चुप रहते है। सिस्टम में मैंने करप्शन को पांव पसारते देखा तो मैं खामोश नहीं रहा। शायद यही वजह रही कि सत्ता में आने के बाद पार्टी का जो खांचा बना उसमें मैं धीरे-धीरे अनफिट होता गया। मेरा उपयोग संगठन में करने के बजाय मुझे किनारे लगाया जाने लगा। यहां तक कि पार्टी की बैठकों में भी बुलाया जाना बंद कर दिया गया। मुझे लगता है कि टीएमसी के साथ मेरी दस साल की जो पारी थी वह पर्याप्त थी। अब इसके साथ और आगे नहीं बढ़ा जा सकता। साथ ही उन्होंने कहा कि दूसरे भी बहुत सारे लोग है जो ममता बनर्जी से अलग हो रहे है। शायद वे लोग खुद को सहज नहीं पा रहे है। साथ ही वहा की राजनितिक स्थिति को देखते हुए उन्होंने कहा कि बहुत सारे गठबंधन बन रहे है। उन गठबंधनों का एक बार शेप तय हो जाए तभी चुनावी तस्वीर साफ हो जाएगी। बीजेपी ने पूरी ताकत झोंक रखी है वह मजबूती के साथ उभरी है। एंटी एन्कबेंसी फैक्टर का लाभ भी उसे मिल रहा है। लेकिन कितनी सीटें वह जीतेगी यह अभी नहीं कहा सकता। अब बंगाल का चुनाव बंगाल का चुनाव सीधे तौर पर ममता बनर्जी और नरेंद्र मोदी के बीच है। करप्शन चुनाव का एक बड़ा मुद्दा होगा।

 

 

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