लखनऊ। यूपी सरकार ने एक अहम फैसला किया है जिससे उन पीड़ितों को मदद मिलेगी जिन्हें समाज में उपेक्षित कर एक ही पक्ष को ज्यादा मजबूती से देखा जाता है। योगी सरकार ने मंगलवार को बलात्कार, भीड़ के शिकार और ऐसे अन्य अपराधों के पीड़ितों को अंतरिम मुआवजा प्रदान करने का फैसला किया। सीएम योगी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट का आयोजन किया गया जिसमें यह विशेष फैसला लिया गया।
प्रवक्ता सिद्धार्थ नाथ सिंह ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, “बलात्कार, डकैती और अन्य ऐसे अपराधों के पीड़ितों को अंतरिम मुआवजा प्रदान करने का निर्णय लिया गया है। डीएम की रिपोर्ट पर अधिकतम 25 प्रतिशत अंतरिम मुआवजा प्रदान किया जाएगा।”
उन्होंने कहा कि फिलहाल जांच के बाद ही मुआवजा प्रदान किया जाएगा, जिससे पीड़ितों को तत्काल राहत मिल सकेगी, कहा कि यह प्रस्ताव 17 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुपालन में है। सुप्रीम कोर्ट में तहसीन पूनावाला बनाम भारत संघ के मामले में अदालत ने यह आदेश दिया था।
भीड़ के शिकार या उनके परिवारों के पीड़ितों को प्रदान की जाने वाली मुआवजे की राशि के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा, “अलग-अलग श्रेणियां हैं। लिंचिंग भी अलग-अलग श्रेणियों में हैं और मुआवजा भी इन्हीं के अनुसार होगा।”
आपको बता दें कि SC ने अपने आदेश में कहा था कि राज्य सरकारों को शारीरिक चोट की प्रकृति, मनोवैज्ञानिक चोट और कमाई के नुकसान के बारे में ध्यान देना चाहिए, जिसमें रोजगार, शिक्षा के अवसरों का नुकसान और कानूनी और चिकित्सीय खर्चों पर होने वाला खर्च भी शामिल है। उक्त मुआवजे में भीड़ की हिंसा / डकैती की घटना के 30 दिनों की अवधि के भीतर पीड़ित को / परिजनों को भुगतान की जाने वाली अंतरिम राहत का प्रावधान होना चाहिए।