दिल्ली में अब सरकार का मतलब उपराज्यपाल होगा। जी हां केंद्र सरकार ने दिल्ली के उपराज्यपाल की ताकत बढ़ा दी है। जिसके चलते अब दिल्ली में एलजी की मंजूरी के कोई कार्यकारी कदम नहीं उठाया जा सकेगा। राष्ट्रपति ने GNCT एक्ट को मंजूरी दिए जाने बाद इसे लेकर अधिसूचना जारी की है। जिसके मुताबिक अब उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना कोई कार्यकारी कदम नहीं उठाया जा सकेगा।
राज्य सरकार को लेनी होगी सलाह
अधिसूचना के मुताबिक दिल्ली सरकार को उपराज्यपाल के पास विधायी प्रस्ताव कम से कम 15 दिन पहले और प्रशासनिक प्रस्ताव कम से कम 7 दिन पहले भेजने होंगे। इसके साथ ही दिल्ली सरकार को किसी भी कार्यकारी कदम से पहले उपराज्यपाल की सलाह लेनी पड़ेगी।
24 मार्च को राज्यसभा में पारित हुआ
बता दें लोकसभा में ये विधेयक 22 मार्च को पास होने के बाद 24 मार्च को राज्यसभा में पारित किया गया था। विधेयक में यह भी सुनिश्चित करने का प्रस्ताव है कि उपराज्यपाल को आवश्यक रूप से संविधान के अनुच्छेद 239क के खंड 4 के अधीन सौंपी गई शक्ति का उपयोग करने का अवसर मामलों में चयनित प्रवर्ग में दिया जा सके।
मुख्यमंत्री केजरीवाल की परेशानी बढ़ी
जानकारों के मुताबिक इस कानून की वजह से दिल्ली में केजरीवाल सरकार की समस्या बढ़ सकती है। राज्यसभा में बिल पास होने के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री ने इस फैसले को दिल्ली की जनता का अपमान बताया था। बिल के पास होने पर कांग्रेस समेत कई विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर जमकर हमला बोला था। वहीं दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा आज लोकतंत्र के लिए एक काला दिन है।