जयपुर। अदालतों में जब भी आप जाते हैं तो वहां पर जजों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले शब्दों के बारे में भी आप सुनते होंगे और सवाल भी मन में उठता होगा कि आखिर क्यों इसका इस्तेमाल किया जाता है। राजस्थान हाईकोर्ट ने अब कोर्ट में इस्तेमाल होने वारले शब्दों जैसे ‘माय लॉर्ड’ और ‘योर लॉर्डशिप’ की प्रथा को खत्म करने के लिए कहा है।
जस्टिस एचएल दत्तू और एसए बोबडे की एक पीठ ने 2014 में एक जनहित याचिका में कहा था कि न्यायाधीशों को अदालतों में सम्मानजनक और सम्मानजनक तरीके से संबोधित किया जाना चाहिए, लेकिन उन्हें ‘माय लॉर्ड’, ‘योर लॉर्डशिप’ कहना अनिवार्य नहीं था। पीठ ने तब कहा, ‘हमने कब कहा कि यह अनिवार्य है? आप हमें केवल एक सम्मानजनक तरीके से बुला सकते हैं … हमें ‘लॉर्डशिप’ के साथ संबोधित मत कीजिए। हम कुछ नहीं कहते। हम केवल कहते हैं कि हमें सम्मानपूर्वक संबोधित करें।’
राजस्थान हाईकोर्ट द्वारा जारी एक नोटिस में कहा गया है कि यह निर्णय सर्वसम्मति से ‘संविधान में निहित समानता के जनादेश का सम्मान करने’ के लिए 14 जुलाई को एक पूर्ण अदालत की बैठक में लिया गया था। बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने 2006 में एक प्रस्ताव पारित किया था जिसमें ऐसे शब्दों के इस्तेमाल पर रोक लगाई गई थी जो ‘औपनिवेशिक अतीत का एक अवशेष’ हैं। साल 2009 में मद्रास हाईकोर्ट के जस्टिस चंद्रू ने भी वकीलों को इस तरह के शब्दों का इस्तेमाल नहीं करने को कहा था।