- वंशिका सैनी, भारत खबर
मेरठ। फिएस्टा रेस्टोरेंट में मैक्स सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल, पटपड़गंज के न्यूरोसर्जरी के वरिष्ठ निदेशक डॉ. संजीव दुआ ने एक पत्रकार वार्ता का आयोजन किया। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में चल रही तमाम समस्याओं में से एक है वर्टिगो की समस्या जिसके बारे में ज्यादातर लोगों को जानकारी नहीं है।
पत्रकारों को जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि वर्टिगो ऐसी स्वास्थ्य समस्या है जिसमें रोगी को चक्कर आता रहता है और यह मस्तिष्क, कान के अंदरूनी हिस्से या संवेदी तंत्रिका मार्ग से संबंधित विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत देती है। इस विषय पर जागरूकता पैदा करने के लिए मैक्स हेल्थकेयर ने विशेष पहल की है।
क्या है वर्टिगो की बीमारी?
डॉ. संजीव दुआ ने पत्रकार सम्मेलन में वर्टिगो से सम्बंधित समस्या के लक्षण, निवारक उपाय, इलाज जैसे इससे संबंधित विभिन्न विषयों को कवर किया। उन्होंने बताया कि यह स्थिति मोशन सिकनेस या बैलेंस डिसआर्डर के नाम से भी जानी जाती है। इस समस्या के बढ़ने पर पीड़ित व्यक्ति जब अपनी आँखें बंद करता है तो उसे गिरने का आभास होता है। इसमें स्थिर व्यक्ति को भी ऐसा महसूस होता है मानों वह गतिषील है और इसके कारण उसे सनसनाहट महसूस होती है। संतुलन की प्रक्रिया को षरीर की तीन प्रणालियां नियंत्रित करती हैं- अपने लैबिरिंथीन कैनाल के साथ भीतरी कान, आंख और आंख की मांसपेशियां और गर्दन की मांसपेशियां। इन प्रणालियों से इनपुट को मस्तिष्क के विशिष्ट क्षेत्रों में संसाधित किया जाता है और इनपुट सिंक्रनाइज किए जाने पर संतुलन की धारणा कायम रहती है। जब भी मस्तिष्क (सीपीयू) सूचना को ठीक से संसाधित करने में असमर्थ होता है, तो इससे वर्टिगो पैदा होता है।
सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस और वर्टिगो है अलग-अलग बीमारी
डॉ. संजीव दुआ ने बताया कि सबसे बड़ी गलत धारणाओं में से एक है और जिसे दूर करना भी जरूरी है, वह है सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस के कारण वर्टिगो होता है। वर्टिगो से पीड़ित कई रोगियों में सर्वाइकल स्पॉन्डिलाइटिस का भी निदान किया जाता है और उनमें उस बीमारी का इलाज किया जाता है जो बीमारी उनमें या तो होती ही नहीं है या वर्टिगो के लक्षणों के लिए जिम्मेदार नहीं होती है। वर्टिगो का सबसे आम कारण आंतरिक कान, या मध्य कान में दर्द है जो साधारण कान की गंदगी से लेकर लैबिरिंथ के वायरल संक्रमण तक हो सकता है।
ईलाज के तरीके भी हैं अलग-अलग
डॉक्टर ने बताया कि इसका इलाज अलग-अलग व्यक्ति में अलग-अलग होता है। हालांकि कुछ मामलों में, लक्षणों को कम करने के लिए कुछ समय तक दवा लेना ही पर्याप्त होता है। लेकिन क्रोनिक वर्टिगो से पीड़ित रोगियों के मामले में, डॉक्टर इपलिस मनूवर जैसी कुछ षारीरिक गतिविधियां करने की सलाह देते हैं क्योंकि यह किसी भी दवा के इस्तेमाल के बिना ही बीमरी के लक्षण में राहत प्रदान करने में मदद करता है। वर्टिगो के अन्य बहुत ही दुर्लभ और जटिल कारण हैं जिनमें मस्तिष्क के महत्वपूर्ण क्षेत्रों की व्यापक जांच की आवश्यकता हो सकती है। ये बीमारियां दुर्लभ हैं और कई अन्य लक्षणों से जुड़ी होती हैं जैसे कि बोलने या निगलने में कठिनाई, दृश्टि संबंधित समस्याएं, अंगों की कमजोरी आदि।