नई दिल्ली। दूसरे विश्व युद्ध के बाद इस साल ऐसा पहली बार होने जा रहा है जब नोबेल का साहित्य पुरस्कार वितृत नहीं किया जाएगा। नोबेल पुरस्कार के स्वीडिश पैनल ने कहा कि ऐसा लेखकों की कमी के कारण नहीं किया जा रहा है बल्कि यौन उत्पीड़न को लेकर लोगों के गुस्से के कारण ये फैसला लिया गया है। अकादमी के स्थायी सचिव एंडर्स ओल्स ने कहा कि हमने पाया है कि अगले साहित्यकार के नाम की घोषणा से पहले जनता का भरोसा जीतने के लिए समय दिया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि साल 2018 का ये पुरस्कार अगले साल तक के लिए स्थागित किया जाएगा और साल 2019 में दो विजेताओं के नाम घोषित किए जाएंगे। दूसरे विश्व युद्ध के बाद ये पहला मौका होगा जब पैनल ने इस साल किसी को भी साहित्य के इस पुरस्कार से सम्मानिक न करने का निर्णय लिया है। बताया जा रहा है कि अकादमी सिर्फ साहित्य पुरस्कारों में शामिल है इसलिए इस फैसले का असर अन्य नोबेल पुरस्कारों पर नहीं पड़ेगा। अकादमी के कुछ सदस्य पुरस्कार को लेकर चिंतित हैं और वे इसके लिए मौजूदा स्थिति को अनुकूल नहीं बता रहे हैं।
दरअसल, फ्रांसीसी फोटोग्राफर जीन क्लाउड अरनॉल्ट के कथित यौन दुराचार को लेकर स्वीडिश अकादमी आलोचनाओं के घेरे में हैं। पिछले साल नवंबर में 18 महिलाओं ने हैश मी-टू आंदोलन द्वारा अरनॉल्ट पर यौन उत्पीडन के आरोप लगाए थे। अकादमी की परिसंपत्तियों को लेकर भी उन पर कई आरोप हैं। हालांकि अरनॉल्ट ने इन आरोपों से इनकार किया है, लेकिन इन विवादों के चलते बीते कुछ माह में स्वीडिश अकादमी के 18 में से छह सदस्य इस्तीफा दे चुके हैं।