नई दिल्ली। काफी लंबे समय से संसद में अलग से रेल बजट को पेश करने की परंपरा बुधवार को खत्म हो गई है। कैबिनेट मीटिंग में इस पर फैसले पर मुहर लगा दी गई है। साल 1924 से लगातार रेल बजट को संसद में अलग से पेश किया जा रहा था लेकिन इस फैसले से 92 साल से चली आ रही प्रभा पर विराम लग गया है। अगले साल 2017 से अब सिर्फ आम बजट ही संसद में पेश किया जाएगा।
इस फैसले के बाद रेल बजट का लेखा-जोखा भी उसी तरह से होगा जैसा दूसरे मंत्रालय के लिए होता है। हालांकि नीति आयोग के इस प्रस्ताव पर रेलमंत्री सुरेश प्रभु अपनी सहमति पहले ही दे चुके हैं।
बता दें कि यह कदम वस्तु एवं सेवा कर को 1 अप्रैल से लागू करने के लिए भी उठाए जा रहे हैं, ताकि सरकार को इस विधेयक को संसदीय मंजूरी दिलवाने के लिए पर्याप्त समय मिले सके।