नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने आज एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। फैसला ये कि अब कोई भी व्यक्ति या नेता किसी भी तरह के प्रचार के लिए धर्म का इस्तेमाल नहीं करेगा और अगर ऐसा होता तो उसे डिस्क्वालीफाई किया जा सकता है। 7 जजों की बेंच ने धारा 123 (ए) के तहत जनप्रतिनिधित्व धारा कानून के तहत हिंदुत्व मामले में सुनवाई करते हुए ये फैसला सुनाया।
कोर्ट ने कहा कि मतदाता के धर्म ,जाति, भाषा और समुदाय के नाम पर किसी भी तरह का प्रचार करना गैर कानूनी है। अगर ऐसा होता है तो उम्मीदवार को डिस्क्वालीफाई किया जाएगा और भ्रष्ट आचरण माना जाएगा। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि न केवल प्रत्याशी बल्कि उम्मीदवार के धर्म, भाषा , समुदाय और जाति का इस्तेमाल भी चुनाव में वोट मांगने के लिए नहीं किया जा सकता। चुनाव एक धर्मनिरपेध प्रक्रिया है।