पटना। बीते दिनों नीतीश कुमार पर बिहार में राजनीतिक उथापुथल के आरोप लगे। हांलाकि नीतीश कुमार ने बीते दिनों अपनी महागठबंधन की सरकार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद नीतीश के ऊपर लालू प्रसाद यादव ने कई गम्भीर आरोप लगाए थे। नीतीश कुमार ने कहा था कि वक्त आने पर जबाब दिया जायेगा। आखिरकार नीतीश कुमार ने मीडिया के सामने आकर अपने ऊपर लगे आरोपों की सफाई दी।
नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव को कहा कि जननेता बनने का ढोंग रचते हैं। वो जन नेता नहीं जाति के नेता है। लालू प्रसाद यादव ने जो सम्पत्ति बनाई है अगर बेनामी नहीं है तो क्या नामी है तो जबाव देने में पीछे क्यूं हट रहे हैं। लालू जी कहते हैं कि हम साम्प्रदायिक पार्टी के साथ सरकार बनाये हैं मै पूछना चाहता हूं कि लालू जी किस तरह से सेकुलर हैं। लालू प्रसाद ने मुझे बढ़ाने के लिए कौन सा एहसान किया है। मैं विधायक बना सांसद बना या केन्द्र सरकार में मंत्री बना तो क्या लालू जी का एहसान था।
हमारी गठबंधन की सरकार बनी या गठबंधन हुआ तो हम लालू जी के पास नहीं गये थे वो आये थे और लालू जी इतने इमानदारी है तो जब बेनामी सम्पत्ति के आरोप लगे तो उन्होने साफ तौर पर सामने आकर जबाव देना चाहिए था लेकिन उन्होने तो चुप्पी साध ली। लालू प्रसाद यादव धर्मनिरपेक्षता के नाम पर संपत्ति नहीं कमा सकते। हमाने मॉस बेस पर वोट लिया था जाति बेस की हमारी राजनीति नहीं है।
उन्होने कि हमने जब नोटबंदी हुई तो उस फैसले का स्वागत करते हुए केन्द्र सरकार से बेनामी सम्पत्ति पर कारर्वाई करने की मांग की थी। बिहार में घूम-घूम कर ये बात कही थी अब आज जब कार्रवाई हो रही है तो हम कैसे पीछे हट जायेंगे। महागठबंधन किसी की नाजायज चाहतें पूरी करने के लिए नहीं किया था। इसलिए जब लगा कि महागठबंधन के साथ हम भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार नहीं चला सकते तो आखिर क्या रास्ता था। जो रास्ता दिखा वो चुना। अगर राजद और लालू जी वक्त रहते जबाव दे देते तो आज ये स्थिति नहीं होती।