नई दिल्ली। बिहार में शराबबंदी जैसा ऐतिहासिक फैसला लेने वाले राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी के फायदे गिनवाते हुए कहा कि शराबबंदी सही मायने में सांप्रदायिक और समाजिक सौहार्द का प्रतीक है इसलिए पार्टी कार्यकर्ताओं को इसे दिल्ली सहीत पूरे देश में लागू करने के लिए इसे एक आंदोलन के रूप में चलाना चाहिए। कुमार ने जेडीयू की दिल्ली ईकाई के कार्यकर्ता सम्मेलन में पार्टी में दिल्ली में विस्तार के लिए शराबबंदी के अलावा अनधिकृत कालोनियों के नियमिती करण जैसी समस्याओं उठाने को कहा जिससे देश में सामाजिक बदलाव का प्रतीक बनें।
उन्होंने सभी धर्मों में शराब के निषेध का हवाला देते हुए कहा कि शराबबंदी का विरोध करने वाले कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों के नेता बताएं कि अगर बिहार और गुजरात में इस सामाजिक बुराई को खत्म करने का फैसला सफलतापूर्वक लागू किया जा सकता है तो पूरे देश में शराबबंदी क्यों नहीं लागू की जा सकती है। दिल्ली प्रदेश जेडीयू की तरफ से आयोजित पहले कार्यकर्ता सम्मेलन मेंव कुमार ने संयुक्त राष्ट्र सहित अध्ययन रिपोर्टों के हवाले से कहा कि दिल्ली सहीत देश में अपराधों का ग्राफ बढ़ने में शराब सबसे बड़ी वजह है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि सांप्रदायिकता की राजनीति पर बढ़चढ़ कर भाषण देने वाले कांग्रेस और अन्य दलों के नेता शराबबंदी पर चुप क्यों हो जाते हैं। मुठ्ठी भर लोग शराब के सेवन को निजता और आजादी से जोड़ कर शराबबंदी का विरोध करते हैं लेकिन उन्हें समझ लेना चाहिये कि उच्चतम न्यायालय ने भी शराब के कारोबार और शराब के सेवन को मौलिक अधिकार के दायरे से बाहर रखा है।उन्होंने जेडीयू के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष नरसिंह साह से राष्ट्रीय राजधानी में अपराधों के तेजी से बढ़े ग्राफ के हवाले से कहा कि वह यहां शराबबंदी लागू करने के लिये सघन अभियान चलायें जिससे दिल्ली सरकार पर माकूल दबाव बन सके।