नई दिल्ली। कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में निपाह वायरस के फैलने के डर के बीच केंद्र सरकार की तरफ से एहतियाती कदम उठाए जा रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आम जनता और स्वास्थ्य सेवा कर्मियों के लिए गुरुवार रात को एक अडवाइजरी जारी की है। इस अडवाइजरी में यह बताया गया है कि अति जोखिम वाले इलाकों में क्या एहतियाती कदम उठाने चाहिए और साथ ही यह जानकारी दी गई है कि यह बीमारी कैसे फैलती है और इसके क्या लक्षण होते हैं।
जमीन पर पड़े फलों का सेवन ना करें
मंत्रालय ने आम जनता को ताड़ी , जमीन पर पड़े पहले से खाए हुए फलों का सेवन करने और इस्तेमाल में ना लाए जा रहे कुओं में ना जाने के अलावा केवल ताजा फल खाने की सलाह दी है। स्वास्थ्य मंत्रालय की अडवाइजरी में कहा गया है कि बीमारी के कारण मारे गए लोगों के शवों का अंतिम संस्कार सरकारी परामर्श के अनुसार करना चाहिए और इस भावुक क्षण के दौरान बीमारी को परिवार के सदस्यों तक फैलने से रोकने के लिए विधि-विधानों में बदलाव करने चाहिए।
निपाह से प्रभावित
इस अडवाइजरी में जानकारी दी गई है कि चमगादड़, सुअर, कुत्ते और घोड़ों जैसे जानवरों में फैलने वाला निपाह वायरस जानवरों से मनुष्यों में भी फैल सकता है और इससे कई बार मनुष्यों को गंभीर बीमारी भी हो सकती है। ऐसे भोजन का इस्तेमाल न किया जाए, जो किसी चमगादड़ या उसके मल से दूषित हुआ हो। साथ ही चमगादड़ के कुतरे हुए फल न खाने की भी सलाह दी गई है। स्वास्थ्य मंत्रालय की अडवाइजरी के मुताबिक घर या अस्पताल में एक इंसान से दूसरे (निपाह से प्रभावित) के करीबी संपर्क में आने से यह फैल सकता है। लिहाजा सुरक्षात्मक उपकरणों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
निपाह वायरस का खतरा, कुएं के पानी से फैला निपाह वायरस..?
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से स्वास्थ्य कर्मियों के लिए अलग से अडवाइजरी जारी की गई है, जिसमें सलाह दी गई है कि किसी बीमार व्यक्ति के संपर्क में रहने पर साबुन से 20 सेकेंड तक हाथ धोना चाहिए। इसके साथ ही इंजेक्शन और धारदार उपकरणों का कम से कम इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
इस बीच हिमाचल प्रदेश में चमगादड़ों की मौत पर केंद्रीय स्वास्थ्य राज्यमंत्री अश्विनी चौबे ने कहा, ‘मृत चमगादड़ों के सैंपल टेस्ट के लिए भेजे गए हैं, जिससे उनकी मौत की वजह पता चल सके। लैब की जांच आने से पहले यह नहीं कहा जा सकता कि निपाह वायरस से चमगादड़ों की मौत हुई है।’