नई दिल्ली। पतंगबाजी के शौकीन लोगों के लिए शायद इस बार की मकर संक्रांति थोड़ी फीकी पड़ सकती है क्योंकि राष्ट्रीय हरित न्यायाधीकरण ने चीनी मांझे समेत कांच की कोटिंग वाले धागे की बिक्री और उसके इस्तेमाल पर देशभर में अगली सुनवाई तक रोक लगा दी है। इस आदेश को लागू करते हुए एनजीटी ने कहा कि त्योहार आ रहे हैं …लिहाजा ये बैन काफी जरुरी है।
मकर संक्रांति के दिन आसमान रंग-बिरंगी पतंगों को उड़ते हुए देखना हर किसी को अच्छा लगता है लेकिन पिछले कुछ सालों से मांझे से गर्दन कटने की कई सारी वारदात सामने आई हैं। यहां तक की इससे कई लोंगो की मौत भी हो गई है, इसके अलावा बेजुबान पक्षियों के लिए भी ये मांझा जानलेवा साबित हुआ जिसकी वजह से एनजीटी ने ये फैसला लिया है।
एनजीटी की चेयरपर्सन स्वतंत्र कुमार की बेंच ने कहा का कांच और मेटल पाउडर की कोटिंग वाला मांझा पर्यावरण के लिए खतरनाक है। इसके साथ ही एनजीटी ने सेन्ट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को एक रिपोर्ट देने को कहा है जिसमें वो बताए कि आखिर इस मांझे से क्या -क्या और नुकसान होते है? इस आदेश की अगली सुनवाई 1 फरवरी को होगी तब तक के लिए मांझे का इस्तेमाल पूरी तरह से बैन कर दिया गया है।
हर साल मांझा बनता है जानलेवा:-
मांझे में पिसे हुए कांच की इस्तेमाल होता है जिसकी वजह से हर साल लोगों के लिए ये मांझा किसी मौत के सौदागर से कम साबित नहीं होता। देश में मकर संक्रांति के अलावा कई और मौकों पर पंतगबाजी करने की प्रथा है तो चलिए आपको बताते है इस साल किन लोगों के लिए पतंग का माझां खतरनाक साबित हुआ।
-15 अगस्त को दिल्ली में पतंग के मांझे से तीन साल की मासूम बच्ची सांची गोयल की गर्दन कट गई थी जिसकी वजह से उसकी मौत हो गई।
-दिल्ली में एक पुलिसकर्मी चीनी मांझे का शिकार बना जिसकी हालत काफी गंभीर हो गई थी।
-पुरानी दिल्ली में फ्लाईओवर से जा रहे बाइक सवार दो युवक की गर्दन मांझे का शिकार बनी। जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया लेकिन इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।
-दिल्ली में ही शिक्षक की पतंग के मांझे से गर्दन कटी और खून रोकने के लिए डॉक्टर को टांके लगाने पड़े।