नई दिल्ली। कृषि कानून के विरोध में किसान आंदोलन को आज 44वां दिन है। किसान अपनी मांगों को लेकर दिल्ली के चारों ओर अड़े हुए हैं। सरकार और किसान संगठनों के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है। लेकिन किसी में भी कोई समाधान नहीं निकल पाया है। सरकार कृषि कानूनों को वापस न लेने की जिद पर अड़ी हुई है। वहीं दूसरी तरफ किसानों का कहना है कि जब तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता है वो तब तक यहीं डटे रहेंगे। इसके साथ ही आज 8वें दौर वार्ता भी बेनतीजा रही। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, वाणिज्य एवं खाद्य मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री और पंजाब से सांसद सोम प्रकाश करीब 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ विज्ञान भवन में वार्ता की।
विज्ञान भवन में होने वाली बैठक जब बेनतीजा रही-
बता दें कि सरकार के साथ बातचीत से पहले गुरुवार को हजारों किसानों ने ट्रैक्टर रैली निकाली। पिछले साल सितम्बर में अमल में आए तीनों कानूनों को केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश किया है। सरकार का कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे। दूसरी तरफ, प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच खत्म हो जाएगा और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी और खेती बड़े कारपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी। विभिन्न विपक्षी दलों और अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों ने भी किसानों का समर्थन किया है, वहीं पिछले कुछ हफ्ते में कुछ किसान संगठनों ने कृषि मंत्री से मुलाकात कर तीनों कानूनों को अपना समर्थन दिया है। इसके साथ ही आज विज्ञान भवन में होने वाली बैठक जब बेनतीजा रही। जिसके चलते किसान संगठनों और सरकार के बीच 15 जनवरी को एक बार फिर कोशिश की जाएगी।