कोरोना वायरस के तेजी से फैलते हुए डेल्टा संस्करण ने अपना रूप बदलकर ‘डेल्टा प्लस’ या ‘AY1’ कर दिया है, लेकिन भारत में चिंता करने की कोई बात नहीं है ।क्योंकि देश में अभी भी बहुत कम मामले हैं।
वैज्ञानिकों ने बताया है कि डेल्टा प्लस प्रकार डेल्टा या B1।617।2 प्रकार के वायरस में म्यूटेशन से बना है, जिसे पहले भारत में पहचाना गया था और कोरोना की दूसरी लहर के कारण हुआ था। ये वैरिएंट अब भारत समेत कई देशों में धीरे-धीरे फैल रहा है।
सीएसआईआर इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) के वैज्ञानिकों का कहना है कि AY।1 वैरिएंट में इम्यून से छिपने के गुण हैं। ये शरीर के इम्यून रिस्पॉन्स, वैक्सीन और एंटीबॉडी थेरेपी को बाधित कर आंशिक या पूरी तरीके से रोगजनक बना सकता है।
उन्होंने कहा कि यह उत्परिवर्तन सार्स सीओवी-2 के स्पाइक प्रोटीन में हुआ, जो मानव कोशिकाओं के अंदर जाकर वायरस को संक्रमित करने में मदद करता है। स्कारिया ने ट्विटर पर लिखा, “भारत में K417N से उपजा प्रकार अभी बहुत अधिक नहीं है । ये दृश्य ज्यादातर यूरोप, एशिया और अमेरिका से आए हैं ।
अब तक, दुनिया भर में इस वैरिएंट के 156 सैंपल सामने आए हैं। इसका पहला सैंपल मार्च में यूरोप में पाया गया था। भारत में पहली बार ये वैरिएंट अप्रैल के महीने में सामने आया था। GISAID पर अपलोड डेटा के मुताबिक, अब तक भारत में इसके 8 सैंपल पाए गए हैं।
भारत में पाए गए इन सैंपल में से तीन तमिलनाडु के और बाकी एक-एक ओडिशा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के हैं। वायरस के स्पाइक प्रोटीन में हुए AY।1 के इस म्यूटेशन की पहचान K417N नाम से की गई है। ये म्यूटेशन ब्राजील में पाए गए बीटा वैरिएंट (B।1।351) में भी मौजूद था।