न्यूयॉर्क। शोधकर्ताओं के एक दल ने एक ऐसे न्यूरोप्रोटेक्टिव कंपाउड को विकसित करने में सफलता हासिल कर ली है जिसकी मदद से मनुष्यों में मिर्गी को पनपने से रोका जा सकेगा। मिर्गी की बीमारी में मस्तिष्क के नर्व सेल की कार्यप्रणाली ध्वस्त हो जाती है जिससे दौरे पड़ने लगते हैं।
अमेरिका के लुसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इसे खोजा और पेटेंट कराया है। इसे एलएयू नाम दिया गया है। यह मिर्गी के दौरे को रोकता है। इसका प्रायोगिक तौर पर इस्तेमाल चूहे पर किया गया। प्रोफेसर निकोलस बजान बताते हैं कि अध्ययन में पता चला है कि उपचार के सौ दिनों के बाद डेंड्रिक स्पाइन का क्षरण कम हो गया और मिर्गी के दौरों से राहत मिलने लगी, जिससे मिर्गी के विकसित होने की प्रक्रिया का भी पता चला।
यह क म्पांउड न्यूरो इन्फ्लेमेटरी सिग्ननिलंग रिसेप्टर को बंद कर देता है, जिसकी वजह से डेंड्रिक स्पाइंस के संरक्षण में मदद मिली। पत्रिका ‘साइंटिफिक’ में प्रकाशित रिपोर्ट में बाजान बताते हैं कि मिर्गी के लक्षणों के आधार पर दौरे रोकने की बहुत सी दवाएं हैं, लेकिन मिर्गी की बीमारी रोकने की नहीं।
यह कंपाउंड मिर्गी के विकास की प्रक्रिया को रोकता है, जिससे इसकी उपयोगिता बढ़ जाती है। ऐसे में यह उन मरीजों के इलाज में ज्यादा कारगर होगा जो मिर्गी के खतरे की तरफ बढ़ रहे हैं।
(आईएएनएस)