नई दिल्ली। प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने अमेरिका के साथ अपने रिश्तों को सुधारने की जो पहल की उसका परिणाम यह रहा कि जिस देश ने एक समय मोदी को अमेरिका का बीजा देने से मना कर दिया था, उसी देश के साथ भारत के संबंध सबसे अच्छे साबित हुए। मोदी के अब तक के करीब 2 साल 5 महीनों के कार्याल में अगर विश्वस्तर पर सबसे ज्यादा मित्रता देखी गई तो वो हैं अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा। भारत के साथ अमेरिका के मधुर रिश्तों को देखते हुए अमेरिका के एक टॉप थिंक-टैंक ने सलाह दी है कि नए अमेरिकी राष्ट्रपति को अपने कार्यकाल के शुरुआती सौ दिनो के अंदर ही भारत के प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करनी चाहिए। थिंक-टैंक के मुताबिक इस मुलाकात से विश्वस्तर पर यह संदेश जाएगा कि दोनों देश अपने द्विपक्षीय संबंधों, जिसकी नींव मजबूत है, को और आगे तक ले जाना चाहते हैं।
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में मात्र कुछ ही महीने शेष है, अमेरिका में नवंबर में चुनाव होना है और नया राष्ट्रपति जनवरी में कार्यभार संभालेगा। ऐसे में जानकारों का मानना है कि मौजूदा स्थिति में अमेरिका और भारत दोनों एक दूसरे के काफी करीब हैं ऐसे में जो नया राष्ट्रपति निर्वाचित हो यह उसकी जिम्मेदारी है कि भारत के साथ वह संबंधों को और मजबूती देने का काम करे। बताया जाता है कि अमेरिका ने भारत-अमेरिका सुरक्षा सहयोग नाम से एक रिपोर्ट तैयार की है जिसमें अपील की गई है कि भारत और अमेरिका के संबंधों को मजबूत बनाने के लिए यह सुनिश्चित किया जाए कि भारत बुनियादी संधियों पर दस्तखत करे।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के साथ साथ अमेरिका के अन्य देशों के साथ जैसे ऑस्ट्रेलिया, जापान आदि के साथ भी मिलकर नए राष्ट्रपति को सुरक्षा संवाद कायम करना चाहिए, साथ में यह भी कहा गया है कि राष्ट्रपति के इस पहल में अमेरिका के विदेश मंत्रालय और स्टेट विभाग को इस काम में उनका साथ देना चाहिए। इसका मकसद प्रशांत महासागर और हिंद महासागरीय क्षेत्रों में साझा हितों पर ध्यान देना हो।
तैयार किए गए इस रिपोर्ट में प्रधानमंत्री मोदी के बारे मे भी जिक्र किया गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मोदी को विश्वस्तर पर एक सशक्त नेता के तौर पर आगे आने का समय है, क्योंकि अमेरिका ऐशिया शांति की पहल कर रहा है। ऐसे में दोनो देशों के लिए सामने आने का समय है, अमेरिका भारत में मोदी के रुप में उभरते नेतृत्व से रिश्ते बनाने की चाह रखता है वहीं भारत के लिए भी मौका है कि वह विश्वस्तर पर अपने संबंधों पर पुनः विचार करे और उन्हे मजबूती देने का प्रयास करे।