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चीन के दबाव पर टला नेपाल का भविष्य पर फैसला, स्‍थायी समिति की बैठक 8 जुलाई तक टली

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चीन के भारी दबाव के बीच नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के भविष्‍य पर फैसला एक बार फिर से टल गया है।

काठमांडू। चीन के भारी दबाव के बीच नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के भविष्‍य पर फैसला एक बार फिर से टल गया है। नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी की स्‍थायी समिति की अहम बैठक को 8 जुलाई तक के लिए टाल दिया गया है। माना जा रहा है कि चीन की राजदूत हाओ यांकी के कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के नेताओं से मुलाकात के बाद इस बैठक को टाला गया है। इसी बैठक में ओली के भाग्‍य का फैसला होना था।

हिमालयन टाइम्‍स की रिपोर्ट के मुताबिक ओली और प्रचंड के बीच रविवार को काफी देर तक वार्ता हुई लेकिन यह बेनतीजा समाप्‍त हो गई थी। प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी को बचाने के लिए चीन ने अपनी राजदूत हाओ यांकी को मिशन पर लगा दिया है। चीन की राजदूत हाओ यांकी ने ओली के धुर विरोधी नेता पुष्‍प कमल दहल ‘प्रचंड’ के समर्थन में चल रहे नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी के नेता माधव नेपाल से रविवार शाम को उनके घर पर मुलाकात की थी।

यही नहीं चीनी राजदूत ने नेपाल की राष्‍ट्रपति विद्या देवी भंडारी से भी मुलाकात की थी और नेपाल कम्‍युनिस्‍ट पार्टी में चल रहे मतभेदों पर गहरी चिंता जताई थी। माना जा रहा है कि चीनी राजदूत के हस्‍तक्षेप के बाद पीएम ओली के भविष्‍य पर फैसले को 8 जुलाई तक के लिए टाल दिया गया है। इससे पहले प्रधानमंत्री ओली और सत्ताधारी नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ के बीच सत्ता की साझेदारी को लेकर हुई अहम बातचीत रविवार को विफल रही थी।

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चीनी राजदूत हाओ यांकी ने की माधव नेपाल से मुलाकात

दोनों नेताओं ने कम्‍युनिस्‍ट पार्टी की शक्तिशाली स्थायी समिति की बैठक से पहले अपने मतभेदों को दूर करने के लिए सोमवार को फिर मिलने का फैसला किया था। ओली पर आए संकट को देखते हुए चीनी राजदूत हाओ यांकी ने माधव नेपाल से मुलाकात करके ओली को बचाने के लिए अंतिम समय तक प्रयास जारी रखा है। माधव नेपाल और झालानाथ खनल समेत वरिष्ठ नेताओं के समर्थन वाला प्रचंड का धड़ा मांग कर रहा है कि ओली पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री दोनों पदों से इस्तीफा दें।

प्रधानमंत्री ओली के एक करीबी सूत्र ने कहा कि दोनों नेताओं के बीच कोई समझौता नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि दोनों नेता अपने-अपने रुख पर अड़े रहे और बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकला। शनिवार को भी 45 सदस्यों वाली स्थायी समिति की अहम बैठक को सोमवार तक के लिये टाल दिया गया था जिससे ओली के काम करने के तौर-तरीकों और भारत विरोधी बयानों को लेकर मतभेद को दूर करने के लिए शीर्ष नेतृत्व को और वक्त मिल सके।

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