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100वीं जयंती के मौके पर अफ्रीका के ‘गांधी’ को गूगल ने ऐसे किया याद, जाने उनके बारें में खास बातें

17 43 100वीं जयंती के मौके पर अफ्रीका के 'गांधी' को गूगल ने ऐसे किया याद, जाने उनके बारें में खास बातें

नई दिल्ली। शांति के दूत कहे जाने वाले नेलसन मंडेला को आज उनकी 100वीं जयंती  के मौके पर गूगल की ओर से डूडल बनाकर याद किया जा रहा है। आज हम आपको नेल्सन मंडेला के जीवन के उस पहलू से उजागर कराने जा रहे हैं जो शायद ही आपको पता हो। नेल्सन मंडेला का जन्म 18 जुलाई को हुआ था। आज उनका 100वां जन्मदिवस है। नेल्सन मंडेला ने अफ्रीका में रंग भेद को लेकर आवाज उठाई थी और काले और गौरे रंग के सभी व्यक्ति बराबर होते हैं इस चीज को लेकर नेल्सन मंडेला की ओर से कई अहम काम किए गए थे जिस वजह से आज उन्हें रंग भेद ना होने की वजह से याद किया जाता है। इसलिए उऩ्हें अफ्रीका का गांधी माना जाता है।

100वीं जयंती के मौके पर अफ्रीका के 'गांधी' को गूगल ने ऐसे किया याद
100वीं जयंती के मौके पर अफ्रीका के ‘गांधी’ को गूगल ने ऐसे किया याद

नेल्सन मंडेला अंतरराष्ट्रीय दिवस

संयुक्त राष्ट्र की ओर से नेल्सन मंडेला के जन्म दिवस को नेल्सन मंडेला अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाता है। नेल्सन मंडेला अंतरराष्ट्रीय दिवस संयुक्त राष्ट्र महासभा मंडेला के शांति स्थापना, रंग-भेद समाधान, मानवाधिकारों की रक्षा और लैंगिक समानता की स्थापना के लिए किए गए उनके सतत प्रयासों के लिए मनाता है। आज नेल्सन मंडेला भले ही हमारे बीच नहीं है, लेकिन दुनिया में अगर शांति की बात हो तो हम सभी उन्हें जरूर याद करते हैं।

नेल्सन मंडेला का जीवन

नेल्सन मंडेला का जन्म दक्षिण अफ्रीका में बासा नदी के किनारे ट्रांसकी के मर्वेजो गांव में हुआ था। लोग उन्हें प्यार से मदीबा कहकर पुकारते थे। ये नाम उन्हें दिए जाने के पीछे भी एक बहुत बड़ा कारण है। दरअसल नेल्सन मंडेला गांधी जी के विचारों से काफी प्रभावित भी थे। उनके ही विचारों से ही प्रभावित होकर मंडेला ने रंगभेद के खिलाफ एक अभियान शुरू की थी। उन्हें अपनी मुहिम में ऐसी सफलता मिली कि उन्हें ही अफ्रीका का गांधी पुकारा जाने लगा। रंगभेद के प्रति उनका संघर्ष कितना महत्वपूर्ण था, यह इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि उनके जीवित रहते संयुक्त राष्ट्र ने सम्मान में उनके जन्मदिन 18 जुलाई को ‘मंडेला दिवस’ के रूप में घोषित कर दिया और इसे अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मानाया था तभी से इस दिन को अंतरराष्ट्रीय दिवस घोषित किया गया।

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