लखनऊ: उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना में लापरवाही करने वालों के खिलाफ सख्त रुख अपना लिया है। इस मामले में 54 अधिकारियों की सैलरी रोक दी गई है।
प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना में लापरवाही बरतने के मामले में नगरीय विकास अभिकरण (सूडा) ने 54 अफसरों की सैलरी पर रोक लगा दी है, जिनमें 18 मिशन प्रबंधक और 36 सामुदायिक आयोजक शामिल हैं। यही नहीं, 21 मिशन प्रबंधक और 53 सामुदायिक आयोजकों को नोटिस भेजा गया है।
ऋण दिलवाने में बरती गई लापरवाही
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बताया जा रहा है कि प्रधानमंत्री स्वनिधि योजना के अंतर्गत शहरी पथ विक्रेताओं को लोन दिलाने में लापरवाही बरती गई है और इस मामले में अब कार्रवाई शुरू हो गई है। बता दें कि सरकार द्वारा 1 मार्च से 6 मार्च तक विशेष ऋण मेला चलाया गया था। हालांकि, इस ऋण मेले में राजधानी लखनऊ, कानपुर नगर, फतेहपुर, बरेली, मेरठ, जालौन और मऊ के मिशन प्रबंधकों और आयोजकों ने रुचि नहीं दिखाई थी।
इस मामले में तीन प्रोजेक्ट अधिकारियों पर आरोप तय किए गए, जिनपर अब सरकार कार्रवाई करेगी। परियोजना के जिन तीन अधिकारियों को आरोप-पत्र दिया गया है, उनमें कानपुर नगर, गाजियाबाद और फतेहपुर जिले के अधिकारी शामिल हैं। वहीं, डूडा आजमगढ़ के परियोजना अधिकारी की सैलरी रोक दी गई है।
सीएलटीसी इंजीनियर्स को कारण बताओ नोटिस
इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) में भी लक्ष्य के अनुसार प्रगति नहीं हुई है। इसी कारण से सूडा निदेशक ने जनपद डूडा, अयोध्या, औरेया, बस्ती, बलिया, एटा, भदोही, कानपुर देहात, जौनपुर, महोबा, कौशांबी, रामपुर, मऊ, सोनभद्र और संतकबीर नगर के सीएलटीसी इंजीनियर्स को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।
निदेशक सूडा उमेश प्रताप सिंह ने बताया कि, सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के अमल में किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने साफ तौर पर कहा है कि, इस योजना में जो भी अभियंता व कर्मचारी काम करने में सक्षम नहीं पाए जाएंगे, उनकी सेवाएं खत्म कर दी जाएंगी।