नवरात्रों की शुरूआत हो चुकी है। नवरात्रि के दूसरे दिन मां दुर्गा के दूसरे रूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। ब्रह्म का अर्थ होता है तपस्या और चारिणी का अर्थ है आचरण करने वाली। ब्रह्मचारिणी का अर्थ है तप का आचरण करने वाली, और मां के इस स्वरूप की पूजा करने से तप, त्याग, सदाचार, संयम आदि की वृद्धि होती है। तो जानतें हैं मां ब्रह्मचारिणी के स्वरूप की कुछ खास बातें-
मां ब्रह्मचारिणी का उल्लेख
हिंदू धर्म में नवरात्रि मनाने का खास महत्व होता है। इन 9 दिनों में मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की विधि-विधान से पूजी की जाती है। उन्ही में से एक हैं मां ब्रह्मचारिणी, जो चर और अचर जगत की विद्याओं की ज्ञाता हैं। कहते हैं कि मां अपने भक्तों को अपनी सर्वज्ञ संपन्न विद्या देकर विजयी बनाती हैं। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप बहुत ही सादा है, वो और देवियों की तरह क्रोध रहित और तुरंत वरदान देने वाली हैं।
कैसे करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा ?
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा शास्त्रीय विधि के साथ की जाती है। मां की प्रतिमा को पटरे पर या वस्त्र बिछाकर वहां स्थापित करें। और उनको सफेद वस्त्र या सफेद फूल चढ़ाएं और मिठाई का भोग लगाएं। फिर घी के दिए या कपूर से मां की मूर्ति और स्थापित कलश की आरती उतारें, और हो सके तो दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इससे मां की असीम अनुकंपा प्राप्त होती है, और मां मनचाहा फल देती हैं।
इन बातों का भी रखें ध्यान
नवरात्रि के दौरान दाढ़ी-मूंछ, बालों और नाखूनों को नहीं कटवाना चाहिए।
काले कपड़े पहनकर मां दुर्गा की पूजा न करें।
व्रत रखने वाले लोगों को जूते-बेल्ट का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
व्रत रखने वालों को नवरात्रि के दौरान दिन में नहीं सोना चाहिए।
व्रत खोलने के लिए सिंघाडे का आटा, सेंधा नमक, आलू, मेवा, मूंगफली आदि का सेवन करें।