#Navratri 2020 नवरात्र के प्रथम दिन भगवती का आगमन और दशमी के दिन गमन के अनुसार वर्ष का शुभ और अशुभ ज्ञान करते हैं।
पंडित अक्षय शर्मा , 9412211260
आगमन
शशि सूर्य गजरुढ़ा शनिभौमे तुरंगमे |गुरौशुक्रेच दोलायां बुधे नौकाप्रकीर्तिता || (देवीपुराण)
रविवार और सोमवार को भगवती हाथी पर आती हैं शनि और मंगलवार को घोड़े पर आती है और शुक्रवार को ढोला पर बुधवार को नाव पर आती हैं।
गजेश जलदा देवी क्षत्रभंग तुरंगमे। नौकायां कार्य सिद्धिस्यात दोलयों मरण ध्रुरवम||
अर्थात दुर्गा हाथी पर आने से अच्छी वर्षा होती है थोड़े पर आने से राजाओं में युद्ध होता है नाव पर आने से सब कार्यों में सिद्धि मिलती है और यदि डोले पर आती हैं तो उस वर्ष में अनेक कारणों से बहुत से लोगों की मृत्यु होती है।
गमन
शशि सूर्य दिने यदि सा विजया महिषागमने रुज शोककरा ,शनिभौम दिने यदि सा विजया चरणायुध यानि करी विकला |
बुधशुक्र दिने यदि सा विजया गजवाहन गा शुभ वृष्टिकरा ,सुरराजगुरौ यदि सा विजया नरवाहन गा शुभ सौख्य करा ||
भगवती रविवार और सोमवार को महिषा(भैंसा) की सवारी से जाती हैं जिस से देश में रोग और शोक की वृद्धि होती है शनि और मंगल को पैदल जाती हैं। जिससे विकलता की वृद्धि होती है। बुध और शुक्र दिन में भगवती हाथी पर जाती है। जिससे वृष्टि वृद्धि होती है गुरुवार को भगवती मनुष्य की सवारी से जाती हैं। जो सुख और सौख्य की वृद्धि करती है। इस प्रकार भगवती का आना जाना शुभ और अशुभ फल सूचक है इस फल का प्रभाव यजमान पर ही नहीं पूरे राष्ट्र पर पड़ता है।
घटस्थापना का मुहूर्त
आश्विन मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि, यानी 17 अक्टूबर को घट स्थापना मुहूर्त का समय प्रात:काल 06:27 बजे से 10:13 बजे तक का है. अभिजित मुहूर्त प्रात:काल 11:44 बजे से 12:29 बजे तक रहेगा।
17 अक्टूबर 2020 (शनिवार) – प्रतिपदा घटस्थापना
18 अक्टूबर 2020 (रविवार) – द्वितीया माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
19 अक्टूबर 2020 (सोमवार) – तृतीय माँ चंद्रघंटा पूजा
20 अक्टूबर 2020 (मंगलवार) – चतुर्थी माँ कुष्मांडा पूजा
21 अक्टूबर 2020 (बुधवार) – पंचमी माँ स्कंदमाता पूजा
22 अक्टूबर 2020 (गुरुवार) – षष्ठी माँ कात्यायनी पूजा
23 अक्टूबर 2020 (शुक्रवार) – सप्तमी माँ कालरात्रि पूजा
24 अक्टूबर 2020 (शनिवार) – अष्टमी माँ महागौरी दुर्गा महा नवमी पूजा दुर्गा महा अष्टमी पूजा
25 अक्टूबर 2020 (रविवार) – नवमी माँ सिद्धिदात्री नवरात्रि पारणा विजय दशमी
26 अक्टूबर 2020 (सोमवार) – दुर्गा विसर्जन
नवरात्रि के लिए पूजा सामग्री
- माँ दुर्गा की प्रतिमा अथवा चित्र ● लाल चुनरी● आम की पत्तियाँ● चावल ● दुर्गा सप्तशती की किताब● लाल कलावा● गंगा जल● चंदन● नारियल
- कपूर● जौ के बीच● मिट्टी का बर्तन● गुलाल● सुपारी● पान के पत्ते● लौंग
- इलायची
नवरात्रि पूजा विधि
- सुबह जल्दी उठें और स्नान करने के बाद स्वच्छ कपड़े पहनें।
- ऊपर दी गई पूजा सामग्री को एकत्रित करें।
- पूजा की थाल सजाएँ।
- माँ दर्गा की प्रतिमा को लाल रंग के वस्त्र में रखें।
- मिट्टी के बर्तन में जौ के बीज बोयें और नवमी तक प्रति दिन पानी का छिड़काव करें।
- पूर्ण विधि के अनुसार शुभ मुहूर्त में कलश को स्थापित करें। इसमें पहले कलश को गंगा जल से भरें, उसके मुख पर आम की पत्तियाँ लगाएं और उपर नारियल रखें। कलश को लाल कपड़े से लपेंटे और कलावा के माध्यम से उसे बाँधें। अब इसे मिट्टी के बर्तन के पास रख दें।
- फूल, कपूर, अगरबत्ती, ज्योत के साथ पंचोपचार पूजा करें।
- नौ दिनों तक माँ दुर्गा से संबंधित मंत्र का जाप करें और माता का स्वागत कर उनसे सुख-समृद्धि की कामना करें।
- अष्टमी या नवमी को दुर्गा पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करें और उन्हें तरह-तरह के व्यंजनों (पूड़ी, चना, हलवा) का भोग लगाएं।
- आखिरी दिन दुर्गा के पूजा के बाद घट विसर्जन करें इसमें माँ की आरती गाएं, उन्हें फूल, चावल चढ़ाएं और बेदी से कलश को उठाएं।