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एक ही दिन है अष्टमी ,नवमी, ऐसे करें पूजन

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नई दिल्ली। चैत्र नवरात्र का कल आखिरी दिन हैं यूं तो कल अष्ठमी हैं पर इस बार अष्ठमी और नवमी एक ही दिन पड़ रही हैं। इस बार नवरात्रि आठ दिनों की है, क्योंकि अष्टमी और नवमी एक ही दिन पड़ रही है यानी 25, मार्च 2018 को नवरात्रि में नौ दिनों तक मां दुर्गा के 9 रूपों को पूजा की जाती है. मां को प्रसन्न करने के लिए लोग व्रत रखते हैं, पूजा-पाठ करते हैं, कंजिके जिमाते हैं और पूरी श्रद्धा से कन्या पूजन भी करते हैं. लेकिन नवरात्रि में कन्या पूजन का विशेष महत्व और लाभ हैं।
क्यो करते हैं।

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कन्याओं का पूजन

आपने यें तो खूब सुना होगा कि नवरात्र के आखिरी दिन कन्या खिलाई जाती हैं पर क्यो खिलाई जाती हैं क्या यें आप जानते हैं आज हम आपको बताते हैं कि आखिर क्यो हिन्दुं धर्म के अनुसार कन्या खिलाई जाती हैं।

‘कुमारी’ नाम की कन्या जो दो वर्ष की होती हैं दुख और दरिद्रता का नाश, शत्रुओं का क्षय और धन, आयु की वृद्धि करती हैं।

‘त्रिमूर्ति’ नाम की कन्या का पूजन करने से धर्म-अर्थ काम की पूर्ति होती हैं पुत्र- पौत्र आदि की वृद्धि होती है।

‘कल्याणी’ नाम की कन्या का नित्य पूजन करने से विद्या, विजय, सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

‘रोहणी’ नाम की कन्या के पूजन से रोगनाश हो जाता है।

‘कालिका’ नाम की कन्या के पूजन से शत्रुओं का नाश होता है।

‘चण्डिका’ नाम की कन्या के पूजन से धन और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।

‘शाम्भवी’ नाम की कन्या के पूजन से सम्मोहन, दुःख-दरिद्रता का नाश और किसी भी प्रकार के युद्ध (संग्राम) में विजय प्राप्त होती हैं।

‘दुर्गा’ नाम की कन्या के पूजन से क्रूर शत्रु का नाश, उग्र कर्म की साधना और परलोक में सुख पाने के लिए की जाती हैं।

‘सुभद्रा’ नाम की कन्या के पूजन से मनुष्य के सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं।

तो जाना आपने इस वजह से कन्याओं का पूजन किया जाता हैं।

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