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यूपी के 2 आईपीएस अफसर निलंबित, घोटाले में आया दोनों का नाम

2 आईपीएस अफसर

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2 आईपीएस अफसर को निलंबित कर दिया है। इन दोनों अफसरों का नाम पशु पालन घोटाले में शामिल था। निलंबित किए गए अफसरों के नाम दिनेश चंद्र दुबे और अरविंद सेन है। दोनों ही डीआईजी स्तर के अधिकारी थे। दिनेश चंद्र दुबे डीआईजी रूल मैन्युअल थे, वहीं अरविंद सेन डीआईजी पीएसी आगरा थे।

भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम जारी

सीएम योगी की भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम जारी है। उत्तर प्रदेश के पशुपालन विभाग में करोड़ों के टेंडर घोटाला के आरोपित जेल में हैं। अब इसमें कार्रवाई को आगे बढ़ाते हुए घोटाले में शामिल लोगों पर शिकंजा कसा जा रहा है। इसी के चलते इन दो वरिष्ठ आइपीएस अफसरों को निलंबित किया गया है। दोनों अफसरों पर पशुपालन घोटाले में शामिल लोगों की मदद करने का आरोप था।

कोई आरोप पत्र नहीं मिला- अरविंद सेन

आगरा में तैनात डीआइजी पीएसी अरविंद सेन का कहना है कि अभी उन्हें कोई आरोप पत्र नहीं मिला है। यह 2018 का मामला बताया जा रहा है। जांच के दौरान भी उनसे किसी ने पक्ष नहीं जाना। निलंबन के मामलें पर उन्होंने कोई भी टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।

अपर मुख्य सचिव गृह ने की निलंबन की पुष्टि

अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने अफसरों के निलंबन की पुष्टि की है। दोनों अफसरों पर आरोपितों के साथ मिलीभगत कर व्यापारी को धमकाने का आरोप हैं। एसटीएफ की जांच में पता चला है कि जेल में बंद एक आरोपित से दिनेश चंद्र दुबे ने टेलीफोन पर 144 बार बात की है। बातचीत के दौरान पैसों के लेनदेन की भी पुष्टि हुई हैं। इसी आरोप के चलते उनको निलंबित किया गया।

दुबे के आरोपितों से मधुर संबंध

पशुपालन विभाग के टेंडर घोटाला में गिरफ्तार लोगों ने सचिवालय में पशुपालन विभाग का फर्जी दफ्तर बनाकर जो फर्जीवाड़ा किया था, उससे अधिकारी और एसटीएफ भी हैरान रह गई थी। मामले के तूल पकड़ने पर शासन ने जांच जल्दी पूरी कर सभी आरोपियों को पकड़ने को कहा था। जांच में ही सामने आया कि गिरफ्तार आरोपियों के आईपीएस डीसी दुबे से अच्छे संबंध है।

ठेको से मिले लाभ में हिस्सेदारी

दुबे के खिलाफ इससे पहले भी यूपीडेस्को नोडल एजेंसी के अंतर्गत कस्तूरबा हॉस्टल, शिवगढ़ बछरावां रायबरेली एवं सादाबाद में बनवाने का ठेका के अलावा बरेली व कौशांबी में बस अड्डा के साथ लखनऊ में दिव्यांगों के लिए भवन बनवाने का ठेका दिलाने की शिकायत थी। इन सभी कामों से मिले लाभ में भी इनकी हिस्सेदारी शामिल थी।

बता दें कि उत्तर प्रदेश में बड़े पैमाने पर अफसरों का तबादला किया जा रहा हैं। प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार के मामलों को लेकर सचेत है। इन दोनों अफसरों पर कार्रवाई को इसी नजरिये से देखा जा रहा है। प्रदेश में 2022 में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इसलिए भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार विपक्ष को कोई मौका नहीं देना चाहती है।

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