तपोवन में आए जलप्रलय के बाद ऋषिगंगा के ऊपरी हिस्से में एक और अस्थाई झील को देख जिस खतरे को लेकर चर्चा है, उस पर एसडीआरएफ की टीम के मुआयने के बाद सीएम ने साफ कर दिया है, कि इससे डरने की जरूरत नहीं है, सिर्फ सतर्क रहना है।
दरअसल, तपोवन के पास रैणी गाँव के ऊपर बनी झील को लेकर SDRF टीम ने दौराकर के सीएम को रिपोर्ट दी है। जिसके बाद सीएम ने साफ किया है, कि इस झील से फिलहाल कोई खतरा नहीं है, क्योंकि 350 मीटर की झील से पानी की पर्याप्त निकासी हो रही है। ऐसे में फिलहाल किसी खतरे की आंशका नहीं है, सतर्क रहने की जरूरत है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस पर संज्ञान लेते हुए कहा है कि झील के परिक्षण के लिए टीम काम कर रही है और सैटेलाइट से इस पर पूरी निगरानी रखी जा रही है।
गौरतलब है कि पिछले हादसे की वजह त्रिशूल पर्वत के क्षेत्र में भूस्खलन और झील का तेज बहाव था, जिसने ऋषिगंगा में सैलाब की स्थित बन गई थी। अब वहीं ऋषिगंगा के ऊपरी हिस्से में एक और अस्थाई झील बनती दिखाई पड़ी है। देहरादून के वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने इस बात की पुष्टि की है… वैज्ञानिको का कहना है कि हैंगिंग ग्लेशियर टूटने के बाद जो मलबा नीचे आया है, उसकी वजह से ये झील बन सकती है।
बता दें कि तपोवन के एनटीपीसी के निर्माणाधीन टनल में फंसे 34 लोगों को बचाने के लिए 7वें दिन भी रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। बीते शनिवार रेस्क्यू के छठें दिन इस जिद्दोजहद में रेस्क्यू टीम को कुछ हद तक कामयाबी भी मिली थी।दरअसल, शुक्रवार को टीम मुख्य टनल में 12 मीटर ड्रिल कर सिल्ट फ्लशिंग टनल तक पहुंच चुकी है, जिसके बाद अब एसएफटी में कैमरा लगाकर वहां फंसे लोगों की तलाश की जा रही है।
वहीं शनिवार को गलनाउ कर्णप्रयाग से बरामद हुए मानव अंगों को जांच लिए भेज दिया गया है। हादसे अब तक कुल 38 शवों एवं 19 अंगों में से 13 शवों एवं 01 मानव अंग की शिनाख्त की जा चुकी है, जबकि 166 लोग अभी भी लापता हैं।