गर्मी में लोगों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो रहा है। लेकिन जरा इन तस्वीरों पर नजर दौड़ाइए, और देखिए कि कैसे भीषण गर्मी में भी ये बाबा अपने चारों ओर आग जलाकर बैठे हुए हैं।
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रेगिस्तान का तापमान 45 डिग्री है, और ऊपर से इन बाबा के चारों और ये आग धधक रही है। सिर पर अंगारों की पोटली रखी हुई है। हैरान होने की जरूरत नहीं है। क्योंकि ये बाबा पिछले 17 सालों से इसी तरह तपिश सहन करते हुए हठ योग कर रहे हैं।
बाड़मेर में शिव मुंडी गणेश मंदिर के पास बैठकर बाबा सियाराम साधना करते हैं। तेज धूप में जहां लोग अपने घरों से बाहर में आने में भी कतराते हैं। ऐसे में बाबा सियाराम दोपहर करीब 12 बजे गणेश मंदिर के पास बैठते हैं, फिर अपने चारों ओर गोबर के कंडे रखकर उन्हें जलाते हैं। भीषण गर्मी और गोबर के कंडों से धधकती आग के बीच में बैठकर बाबा सियाराम घनघोर तपस्या करते हैं। फिर मटकी में आग लगाकर सिर पर रख लेते हैं।
वहीं अपनी तपस्या को लेकर बाबा सियाराम का कहना है कि हठ योग कोर्स में अनुष्ठान चार महीने में गर्मी के समय में किया जाता है। माघ की वसंत पंचम से लेकर ज्येष्ठ गंगा दशहरा तक अनुष्ठान होता है। इस अनुष्ठान में धूप से कोई लेना-देना नहीं होता है। जब तक जप करते हैं तब तक न तो गर्मी लगती है और न ही आग का तप लगता है।
बाबा सियाराम मूल रूप से उड़ीसा के रहने वाले हैं। सियाराम महाराज ने 13 साल की उम्र में बनारस आश्रम में संन्यास लेकर सीताराम महाराज से दीक्षा ली थी। बाबा साल 2010 में बाड़मेर आए थे। तब से यहीं हैं। हठ योग पूरे 18 साल के लिए होता है। बाबा का कहना है कि वह यह तपस्या जन कल्याण के लिए कर रहे हैं।