तीन कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे आंदोलन को धार देने के लिए देशभर के किसान 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर के GIC मैदान में जुटेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले किसान यहां से केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में हुंकार भरेंगे। उत्तर प्रदेश में वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले किसान अपनी ताकत दिखाने के लिए नया इतिहास लिखने की तैयारी में है।
मिशन उत्तर प्रदेश की शुरूआत करने के लिए संयुक्त किसान मोर्चा 5 सितंबर को मुजफ्फरनगर में होने वाली महापंचायत को एतिहासिक बनाना चाहता है। इसके लिए महापंचायत में देशभर के 300 से ज्यादा सक्रिय संगठन सम्मिलित होंगे, जिनमें करीब 60 किसान संगठन होंगे और अन्य कर्मचारी, मजदूर, छात्र, शिक्षक, रिटायर्ड अधिकारी, सामाजिक, महिला आदि संगठन सम्मिलित रहेंगे। किसानों के 40 संगठन अहम किरदार में रहेंगे, जबकि 20 संगठन पूरा मदद करेंगे। संयुक्त किसान मोर्चा की मुजफ्फरनगर में होने वाली महापंचायत पर सरकार से लेकर विपक्षी दलों तक की नजर है। मोर्चा के सदस्यों को लगता है कि इस महापंचायत से कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे आंदोलन को नई दिशा मिलेगी।
इसमें उत्तर प्रदेश के बाद सबसे अधिक पंजाबा, हरियाणा, उत्तराखंड व राजस्थान से किसान सम्मिलित होंगे। इसके लिए संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल वहां के किसान नेताओं ने पूरी व्यवस्था कर दी है। संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों के अनुसार पंजाब और हरियाणा के किसान संगठनों के नेताओं ने अपने साथ हजारों की तादाद में किसानों को लेकर आने का लक्ष्य तय किया है।
हरियाणा से किसान आएंगे
हरियाणा के सभी किसान संगठनों से जुड़े किसान बड़ी तादाद में महापंचायत में सम्मिलित होने जाएंगे। इस महापंचायत से सरकार को दिखाया जाएगा कि किसान कृषि कानून रद्द कराकर ही धरनों से अपने घर जाएगा।
सभी वर्ग शामिल होंगे
22 राज्यों के प्रतिनिधियों से सहमति मिली है और 300 से ज्यादा किसान और अन्य संगठन के लोग सम्मिलित होंगे। पंजाब से 100 संगठन रहेंगे, जिनमें 40 किसान और अन्य मजदूर, कर्मचारी, छात्र आदि संगठन है।
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सभी खेमे का समर्थन
हरियाणा की सभी खेमे किसान आंदोलन का समर्थन कर रही है। खाद्य सामग्री उपलब्ध कराने से लेकर अन्य व्यवस्थाएं भी खाप कर रही है। हमारे यहां भी गांवों में महापंचायत में जाने के लिए मुनादी कराई गई है।