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भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती आज, जानें भारतीय इतिहास में शास्त्री का रहा क्या योगदान

शास्त्री 2 भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती आज, जानें भारतीय इतिहास में शास्त्री का रहा क्या योगदान

2 अक्टूबर का दिन हमें हमेशा गांधी जयंती के रूप में याद रहता है लेकिन हम भूल जाते हैं कि आज ही के दिन देश (भारत) के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी की भी जयंती है। अपने साहस व सादगी से पहचाने जाने वाले लाल बहादुर शास्त्री जी का जन्म 2 अक्टूबर 1904 में उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में शारदा प्रसाद और रामदुलारी देवी के घर हुआ था।

लाल बहादुर शास्त्री 1920 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का हिस्सा बने। और स्वाधीनता संग्राम विभिन्न आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। जिनमें से सबसे प्रमुख 1921 में असहयोग आंदोलन, 1930 में दांडी मार्च, 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में महात्मा गांधी के साथ उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका रही। लाल बहादुर शास्त्री जी ने देश को ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया।

अगर बात करें 1965 में भारत-पाक युद्ध की तो, 1962 में भारत चीन युद्ध में भारत को मिली हार को देखकर पाकिस्तान को भ्रम हो गया कि भारत की सेना के बाजू में दम नहीं है। इसी सोच के साथ पाकिस्तान ने भारत पर हमला कर दिया। लेकिन इस दौरान लाल बहादुर शास्त्री की सूझबूझ व रणनीति ने पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब दिया।

आपको बता दें लाल बहादुर शास्त्री 9 जून 1964 भारत के दूसरे प्रधानमंत्री बने थे।

26 सितंबर 1965 भारत-पाक युद्ध खत्म होने के करीब 4 दिन बाद जब देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने दिल्ली के रामलीला मैदान में हजारों लोगों के सामने बोल बोलना शुरू किया तो तालियों की गड़गड़ाहट रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी। शास्त्री ने उस वक्त ऐलान किया,“सदर अयूब ने कहा था कि वो दिल्ली तक चहलक़दमी करते हुए पहुंच जाएंगे। वो इतने बड़े आदमी हैं। लहीम शहीम हैं। मैंने सोचा कि उन्हें दिल्ली तक चलने की तकलीफ़ क्यों दी जाए. हम ही लाहौर की तरफ़ बढ़ कर उनका इस्तक़बाल करें।”

ये वो लाल बहादुर शास्त्री थे जिनका 5 फीट 2 इंच कद कहा कर सदर अयूब ने 1 साल पहले ही मजाक उड़ाया। सदर अयूब हमेशा लोगों का आंख में उनके आचरण की वजह बाहरी स्वरूप से किया करते थे लेकिन भारत से मिली मात ने उनको समझा दिया था कि यह 5 फीट 2 इंच का व्यक्ति कोई साधारण व्यक्ति नहीं है।

लाल बहादुर शास्त्री के जीवन के अनकहे किस्से

बचपन में ही पिता की मौत के बाद जी माता अपने पिता के घर मिर्जापुर रहने लगी जहां लाल बहादुर शास्त्री जी की प्राथमिक शिक्षा आरंभ हुई। परिस्थितियां अच्छी ना होने के कारण कहा जाता है कि लाल बहादुर शास्त्री रोजाना नदी तैरकर स्कूल जाया करते हैं। 

देश में फैली जातिप्रथा का विरोध करते हुए 12 वर्ष की आयु में लाल बहादुर शास्त्री ने अपने उपनाम श्रीवास्तव को त्याग दिया था। बीए की डिग्री पूरी करने के बाद लाल बहादुर को ‘शास्त्री’ की उपाधि से नवाजा गया। जिसका अर्थ होता है ‘विद्वान’

स्वतंत्र भारत की पहली सरकार में लाल बहादुर शास्त्री पुलिस एवं परिवहन मंत्री बने और उन्होंने अपने पहले कार्यकाल के दौरान महिला कंडक्टरों की नियुक्ति थी। साथ ही उन्होंने अनियमित भीड़ को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज की बजाय पानी के जेट का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया।

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