किसान आंदोलन पर एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट ने किसान महापंचायत को फटकार लगाई है। कोर्ट ने लखीमपुर खीरी की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि जब खीरी जैसी घटनाएं हो जाती है तो फिर कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता।
सुप्रीम कोर्ट ने फिर लगाई किसान महापंचायत को फटकार
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने किसान महापंचायत नाम के संगठन की अर्जी पर सुनवाई की। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर किसान महापंचायत को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब कृषि कानूनों पर रोक लगी हुई है तो फिर विरोध क्यों किए जा रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि जब किसी की मौत होती है या प्रॉपर्टी को नुकसान किया जाता है तो कोई उसकी जिम्मेदारी लेने सामने नहीं आता। इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट की ओर ने लखीमपुर खीरी की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि जब खीरी जैसी घटनाएं हो जाती है तो फिर कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता।
‘ऐसे किसी आंदोलन को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए’
दरअसल किसान महापंचायत ने शीर्ष अदालत से मांग की थी कि उन्हें दिल्ली के जंतर-मंतर पर सत्याग्रह करने की परमिशन दी जाए। इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी की है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि वह इस बात का परीक्षण करेगा कि क्या प्रदर्शन करने का हक मूल अधिकार है या नहीं। वहीं केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि भविष्य में ऐसे किसी आंदोलन को अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
21 अक्टूबर को हो मामले में अगली सुनवाई
वहीं अब इस मसले पर अब अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी। किसान महापंचायत का कहना है कि वो दिल्ली की सीमाओं पर पर बैठे किसानों संगठनों से अलग है। 26 जनवरी की घटना के बाद इन्होंने अपने आप को उन संगठनों से अलग कर लिया था।