featured देश

राजनीतिक दलों को ‘सुप्रीम’ फटकार, बीजेपी-कांग्रेस समेत 10 दलों पर लगाया जुर्माना, कहा- नींद से जागो

supreme court of india 1591946797 राजनीतिक दलों को ‘सुप्रीम’ फटकार, बीजेपी-कांग्रेस समेत 10 दलों पर लगाया जुर्माना, कहा- नींद से जागो

देश की उच्च न्यायालय ने बीजेपी और कांग्रेस समेत 10 दलों पर बड़ी कार्रवाई की है। सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों पर अवमानना का दोषी मानते हुए जुर्माना लगाया है।

बीजेपी-कांग्रेस समेत 10 दलों पर ‘सुप्रीम’ एक्शन

बिहार विधानसभा चुनावों में उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक केसों का ब्यौरा सार्वजनिक न करने वाले दलों पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी कार्रवाई की है। सुप्रीम कोर्ट ने बीजेपी और कांग्रेस समेत 10 राजनीतिक दलों पर जुर्माना लगाया है। बिहार चुनाव के दौरान प्रत्याशियों के आपराधिक रिकॉर्ड मीडिया में प्रकाशित न करने के मामला पर सुप्रीम कोर्ट ने 10 पार्टियों को अपने आदेश का पालन न करने के लिए अवमानना का दोषी माना है।

‘पार्टियां लंबी नींद से जागने को तैयार नहीं’

जुर्माना लगाने के साथ-साथ सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख शब्दों में कहा कि अदालत ने कई बार कानून बनाने वालों को आग्रह किया कि वे नींद से जागें और राजनीति में अपराधीकरण रोकने के ले कदम उठाएं। लेकिन वो नींद में सोए हुए हैं। बता दें कि कोर्ट ने जेडीयू, आरजेडी, एलजेपी, कांग्रेस, बीजेपी, सीपीआई पर 1-1 लाख का जुर्माना किया है। इसके अलावा, सीपीएम और NCP पर 5-5 लाख का जुर्माना लगाया है।

‘वेबसाइट पर प्रत्याशियों का आपराधिक रिकॉर्ड डालें’

सुप्रीम कोर्ट ने भविष्य के लिए राजनीतिक पार्टीयों को चेताते हुए निर्देश दिया कि राजनीतिक दल अपनी वेबसाइट पर प्रत्याशियों के आपराधिक रिकॉर्ड डालें। इसके साथ ही चुनाव आयोग से सुप्रीम कोर्ट ने ऐप बनाने को कहा जहां मतदाता ऐसी जानकारी देख सकें। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पार्टी प्रत्याशी चुनने के 48 घंटे के भीतर आपराधिक रिकॉर्ड मीडिया में प्रकाशित करे। आदेश का पालन न होने पर आयोग सुप्रीम कोर्ट को सूचित करें।

बहरे कानों तक नहीं पहुंच पाई अपील- सुप्रीम कोर्ट

राजनीतिक पार्टियों पर बोलते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोर्टी की तमाम अपीलें बहरे कानों तक नहीं पहुंच पाई हैं। राजनीतिक पार्टियां नींद से जागने को तैयार नहीं हैं। यह विधायिका का काम है, कोर्ट के हाथ बंधे हुए हैं। शीर्ष न्‍यायालय ने कहा कि वो सिर्फ अपील कर सकते हैं। बता दें कि कोर्ट ने 2016 से लंबित इस मामले में केंद्र और राज्य सरकारों से मुकदमों का ब्यौरा मांगा था। इससे पहले पिछले साल मामले में सुनवाई अक्टूबर महीन में हुई थी। तब भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब दाखिल करने को कहा था लेकिन तब से अब तक केंद्र की ओर से कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है। जिसको लेकर चीफ जस्टिस एन वी रमना की अध्यक्षता वाली 3 जजों की बेंच ने इस पर नाराजगी जताई।

Related posts

भाई भतीजी के साथ करता रहा यौन शोषण और खामोशी से देखते रहे नवाजुद्दीन सिद्दीकी..

Mamta Gautam

आफताब के नार्कों टेस्ट की प्रक्रिया शुरू,सवालों की लिस्ट तैयार,यहां जानें पूरा अपडेट

Rahul

प्रदेश की जेल अब होगी और सुरक्षित, सिक्योरिटी ऑडिट से निकलेगा रास्ता

Aditya Mishra