जो सपना भारत ने दो दशक पहले देखा था वो सपना अब पूरा हुआ। इतने सालों की कड़ी मेहनत के बाद एयरफोर्स के बेड़े में सोमवार को स्वदेशी लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर शामिल हुआ।
यह भी पढ़े
इस हेलीकॉप्टर के एयरफोर्स में शामिल होने के बाद भारत की ताकत में काफी इजाफा हुआ है। यह हेलिकॉप्टर तपते रेगिस्तान,बर्फीले पहाड़ों समेत हर कंडीशन में दुश्मनों पर हमला करने की ताकत रखता है। इसकी कैनन से हर मिनट में 750 गोलियां दागी जा सकती हैं। वहीं एंटी टैंक और हवा में मारने वाली मिसाइल भी फायर की जा सकती है। नवरात्र में अष्टमी के दिन यह एयरफोर्स के बेड़े में शामिल हुआ।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस LCH को ‘प्रचंड’ नाम दिया है। इसके साथ ही राजनाथ सिंह ने भी इस हेलिकॉप्टर में उड़ान भरी। लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर को एयरफोर्स को सौंपने से पहले धर्मसभा का आयोजन किया गया। इस दौरान चारों समुदाय के धर्मगुरु मौजूद रहे । कार्यक्रम के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने प्रचंड में उड़ान भरी । आपको बता दे की 1999 में कारगिल युद्ध के दौरान सेना को अधिक ऊंचाई वाले स्थान पर हमला करने वाले हेलिकॉप्टरों की बहुत कमी महसूस हुई थी ।
यदि उस दौर में ऐसे हेलिकॉप्टर होते तो सेना पहाड़ों की चोटी पर बैठी पाक सेना के बंकरों को उड़ा सकती थी। इस कमी को दूर करने का बीड़ा उठाया एक्सपट्र्स ने और हिन्दुस्तान एयरोनोटिक्स लिमिटेड परिसर में इसका निर्माण करने की चुनौती ली। सेना व एयरफोर्स की आवश्यकताओं के अनुरूप डिजाइन तैयार की गई और इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया गया।
ऐसे धीरे-धीरे करते हुए अब ये हेलिकॉप्टर भारतीय एयरफोर्स को मिले। अब अगर बात करें कि जोधपुर को ही क्यों चुना गया तो LCH के जोधपुर सिलेक्शन के पीछे कई कारण है। लेकिन इनमें सबसे प्रमुख है पाकिस्तान बॉर्डर। दरअसल अमेरिका निर्मित लड़ाकू हेलिकॉप्टर अपाचे की यूनिट कश्मीर क्षेत्र में पठानकोट में तैनात है। वहीं इस साल जून में सेना को मिले हल्के लड़ाकू हेलिकॉप्टर की यूनिट को अगले साल की शुरुआत में बेंगलुरु से चीन बॉर्डर के पास तैनात कर दिया जाएगा । ऐसे में पश्चिमी सीमा पर लड़ाकू हेलिकॉप्टर की कमी महसूस हो रही थी। इधर जोधपुर सबसे पुराना एयरबेस है। तय किया गया कि LCH की पहली स्क्वाड्रन जोधपुर में तैनात की जाए। राजस्थान में स्क्वाड्रन मिलने के बाद अपाचे और LCH दोनों बॉर्डर को आसानी से कवर कर सकेंगे।