आज के समय में हर कोई अच्छा लाइफस्टाइल चाहता है। जिसके लिए वह दिन – रात पैसा कमाने में लगा है। लेकिन जरा सोचिए कि आपको साल का 40 लाख रूपए का पैकेज मिल रहा हो तो आप उसका क्या करेंगे।
आज के समय में भी कुछ लोग ऐसे हैं जो पैसे को इतना महत्व नहीं देते हैं। वह इस मोह माया और ग्लैमर को पीछे भागने की बिल्कुल भी चाह नहीं रखते । यह सुनने बहुत आश्चर्यचकित करता है लेकिन यह बिल्कुल सच है।
ये है पूरा मामला
आपको बता दें कि मध्य प्रदेश के पन्ना जिले के ब्रजपुर निवासी व हीरा व्यवसायी 46 वर्षीय ब्रजेश, दिल्ली के रहने वाले 27 वर्षीय आइआइटीयन अविरल, मध्य प्रदेश इंदौर के रहने वाले और सरकारी अधिकारी के पुत्र 19 वर्षीय स्वातम, बड़े किसान परिवार के भोपाल के 36 वर्षीय संजय एवं मध्य प्रदेश के ही भिंड के 25 वर्षीय स्नातक अंकुश शामिल हैं। यह पांचों युवक सांसारिक मोह-माया त्यागकर संन्यास ग्रहण कर दिग्बंर जैन सन्यासी बनने की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं।
रविवार को होगा दीक्षा समारोह
जानकारी के मुताबिक पांचों युवकों को रविवार को दुनिया के सबसे बड़े जैन तीर्थ स्थल श्री सम्मेद शिखरजी मधुबन में आयोजित जैनेश्वरी मुनि दीक्षा समारोह में जैन मुनि की दीक्षा दी जाएगी। यह दीक्षा उन्हें इनके गुरू प्रसिद्ध जैन संत आचार्य विशुद्ध सागरजी महाराज देंगे। विशुद्ध सागरजी महाराज से प्रभावित होकर ही पांचों ने जैन मुनि बनकर मोक्ष प्राप्ति का रास्ता चुना है। सांसारिक जीवन त्यागकर साधु बनने के गवाह पांचों के स्वजन भी बनेंगे। सभी के स्वजन मधुबन पहुंच चुके हैं। दीक्षा देने के पूर्व इनके मांगलिक कार्य गोद भराई हो चुकी है।
चुना संन्यास का मार्ग
अविरल ने वर्ष 2015 में आइटीआई वाराणासी से कंप्यूटर साइंस में पढ़ाई पूरी की थी। पास करने के बाद वर्ष 2015 में ही उसने बंगलुरू में गोल्ड मेन एसएसीएचएस कंपनी में बंगलुरू में नौकरी ज्वाइन की। 40 लाख रुपये सालाना पैकेज थी। जीवन शानदार चल रहा था। न्यूयार्क समेत विदेशों का भी भ्रमण किया था। फुटबाल खेलना और बाइक चलाना उन्हें पसंद था।
2018 में किए महाराज के दर्शन
वर्ष 2018 में बंगलुरू में आचार्य विशुद्ध सागरजी महाराज का उन्होंने दर्शन किया। वहां आदित्य सागरजी महाराज का चातुर्मास चल रहा था। एक इंटरव्यू में अविरल ने बताया कि विशुद्ध सागरजी महाराज का दर्शन करते ही उन्होंने तय कर लिया कि अब संसार की दौड़ में अपना जीवन खराब नहीं करना है। साधु बनना है। इस फैसले का पहले घर वालों ने विरोध किया। समझाने की कोशिश की कि घर पर रहकर ही साधु का जीवन जीओ। ब्रम्हचर्य का पालन करो। अविरल ने घर वालों को समझाया कि जीवन का सही रास्ता यही है जो वह चुन रहा है। इसके बाद घर वाले मान गए। दोस्तों ने भी साधु बनने के उसके फैसले का विरोध किया और समझाने की कोशिश की।
2019 में दिया नौकरी से इस्तीफा
अविरल ने फरवरी 2019 में नौकरी से इस्तीफा दे दिया और विशुद्ध सागरजी महाराज के शिष्य बन गए। जैन मुनि बनने की सारी अहर्ता को पूरा करने में उसे करीब ढ़ाई साल लग गए।