हिजाब के मसले पर राजनीति भी तेज हो गई है, असदुद्दीन ओवैसी ने कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से असहमति जाहिर की है।
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इतना ही नहीं उन्होंने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत बाकी संगठनों से इसके खिलाफ आवाज उठाने की अपील की।
हिजाब धर्म का अनिवार्य हिस्सा नहीं
AIMIM नेता और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने लिखा, ‘मैं कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले से सहमत नहीं हूं। फैसले से असहमत होना मेरा हक है। मुझे उम्मीद है कि याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट जाएंगे। कर्नाटक हाईकोर्ट में उडुपी की लड़कियों ने एक याचिका दायर की थी। इस पर 9 फरवरी को चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की बेंच का गठन किया गया था। लड़कियों ने याचिका दायर कर मांग की थी कि उन्हें क्लास के अंदर भी हिजाब पहनने की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि यह उनकी आस्था का हिस्सा है। कर्नाटक हिजाब विवाद पर मंगलवार को कर्नाटक हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने स्कूल कॉलेजों में हिजाब बैन के फैसले को चुनौती देने वालीं याचिकाओं को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं है। कर्नाटक हाईकोर्ट में उडुपी की लड़कियों ने याचिका दायर कर स्कूलों में हिजाब पहनने की इजाजत की मांग की थी।कोर्ट ने छात्राओं की याचिका को खारिज करते हुए कहा कि छात्र स्कूल ड्रेस पहनने से इनकार नहीं कर सकते।
4 सवालों के आधार पर कोर्ट का आया फैसला
सवाल -1, हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा है?
फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं है।
सवाल-2, यूनिफॉर्म पहनने से इनकार करना प्रिस्क्रिप्शन अधिकारों का उल्लंघन है?
कोर्ट ने कहा- स्कूल यूनिफॉर्म का प्रिस्क्रिप्शन एक उचित प्रतिबंध है, जिस पर छात्र आपत्ति नहीं कर सकता है।
सवाल-3, 5 फरवरी का राज्य सरकार का फैसला अक्षम और स्पष्ट रूप से मनमाना है और अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन करता है?
कोर्ट ने माना कि सरकार के पास 5 फरवरी का शासनादेश जारी करने का अधिकार है। इसे अमान्य करने का कोई मामला नहीं बनता। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ऐसा कुछ तथ्य नहीं पेश कर पाए कि सरकार ने फैसला मनमाने ढंग से लागू किया।
सवाल-4 क्या कॉलेज प्रशासन के खिलाफ अनुशासनात्मक जांच का आदेश देने का कोई मामला बनता है?
कोर्ट ने कहा कि नहीं ऐसा कोई मामला नहीं बनता।
तीन जजों की बेंच ने सुनाया फैसला
छात्राओं ने स्कूल कॉलेजों में हिजाब पहनने पर बैन लगाने के सरकार के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट का रुख किया था। इस पर 9 फरवरी को चीफ जस्टिस रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जेएम खाजी की बेंच का गठन किया गया था। छात्राओं ने अपनी याचिका में कहा था कि उन्हें क्लास के अंदर भी हिजाब पहनने की अनुमति दी जानी चाहिए, क्योंकि यह उनकी आस्था का हिस्सा है।
क्या है हिजाब विवाद?
कर्नाटक में हिजाब को लेकर विवाद की शुरुआत जनवरी में हुई थी। उडुपी के एक सरकारी कॉलेज में 6 छात्राओं ने हिजाब पहनकर कॉलेज में एंट्री ली थी। कॉलेज प्रशासन ने छात्राओं को हिजाब पहनने के लिए मना किया था। लेकिन वे फिर भी पहनकर आ गई थीं। इसके बाद लड़कियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कॉलेज प्रशासन के खिलाफ विरोध दर्ज किया था। इसके विवाद कर्नाटक से लेकर पूरे देशभर में हिजाब को लेकर विवाद शुरू हुआ।स्कूलों में हिजाब के समर्थन और विरोध में प्रदर्शन किए गए। यहां तक कि मामला सड़क से सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया।
यूनिफॉर्म को लेकर किया था फैसला
विवाद को देखते हुए कर्नाटक सरकार ने स्कूल- कॉलेज में यूनिफॉर्म को अनिवार्य करने का फैसला किया था। इसके तहत सरकारी स्कूल और कॉलेज में तो तय यूनिफॉर्म पहनी ही जाएगी। प्राइवेट स्कूल भी अपनी खुद की एक यूनिफॉर्म चुन सकते हैं।
अगले आदेश तक धार्मिक पोशाक पर लगी है रोक
हिजाब पर रोक को लेकर कुछ छात्रों ने कर्नाटक हाईकोर्ट का रुख किया था। लेकिन हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने इसे तीन जजों की बेंच में ट्रांसफर कर दिया।
कोर्ट ने सुनवाई के दौरान अगले आदेश तक स्कूल कॉलेजों में धार्मिक पोशाक पहनने पर रोक लगा दी थी।